पौड़ी:आम लोगों की जान माल की सुरक्षा के लेकर बीते दिनों देवप्रयाग पुल को जिला प्रशासन ने आवाजाही के लिए बंद (Devprayag bridge closed) कर दिया है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के पास एक किनारे से दूसरे किनारे जाने के लिए और कोई बेहतर विकल्प भी नहीं है. पुल बंद होने से सबसे अधिक प्रभाव स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है. स्थानीय लोगों द्वारा पुल को फिर से खोले जाने की मांग उठाई जा रही है. जिससे स्थानीय जनप्रतिनिधियों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में देवप्रयाग नगरपालिका के अध्यक्ष के नेतृत्व के एक शिष्टमंडल ने डीएम से मुलाकात की.
डीएम के निर्देश पर पुल बंद:करीब 200 साल पहले ब्रिटिश गढ़वाल को टिहरी रियासत के देवप्रयाग कस्बे को जोड़ने के लिए अलकनंदा नदी के ऊपर अंग्रेजों ने इस झूला पुल का निर्माण कराया था. जिससे ब्रिटिश शासन में गढ़वाल और टिहरी रियासत के बीच बुनियादी जरूरत को जुटाने तथा आवाजाही सुगमता से की जा सके. तब भी यह पुल बेहद अहम था और समय के साथ उसकी जरूरी आज पहले से कहीं अधिक हो गई है. ऐसे में पुल की जर्जर स्थिति के चलते पौड़ी के जिला प्रशासन ने जान माल की क्षति से बचने के लिए इसे बंद करना ही मुनासिब समझा. पौड़ी डीएम डॉ. आशीष चौहान (Pauri DM Ashish Chauhan) के निर्देशों के बाद बीते 4 दिसंबर को पुल पूर्णरूप से आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया.
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