पौड़ीः बदलते वक्त के साथ बदलती परंपराओं से हम लोग बहुत कुछ खोते जा रहे हैं. जिससे पहाड़ की लोक परंपराओं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन कई जगहों पर ये पारंरिक त्योहार आज भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. पौड़ी के पाबौ क्षेत्र में आज भी पारंपरिक रूप से बग्वाल (दीपावली) को भैला खेलकर मनाया जाता है. इस दौरान ग्रामीण चीड़ की ज्वलनशील लकड़ी के मशाल तैयार करते हैं और पारंपरिक गीतों को गाकर इस पर्व को मनाया जाता है.
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली के मौके पर लोग ढोल-दमाऊ और मसकबीन की धुन पर भैला नृत्य कर झूमते नजर आते हैं. गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली मनाने का तौर-तरीके देश के अन्य इलाकों से काफी अलग है, यहां भैला नृत्य कर दिवाली मनाई जाती है. ऐसा ही कुछ पाबौ क्षेत्र के कुछ गांवों में देखने को मिला, जहां आज भी बग्वाल मनाई जाती है. यहां पर पटाखे नहीं, बल्कि भैला खेलकर इस त्योहार को पारंपरिक और धूमधाम के साथ मनाया जाता है.