अलकनंदा नदी में जल का अभाव देखने को मिल रहा है श्रीनगर: उत्तर प्रदेश को बिजली देने वाली श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की मुसीबत बढ़ सकती है. श्रीनगर में जल विद्युत परियोजना की कार्यदायी संस्था जीवीके के खिलाफ लोगों का आक्रोश साफ देखने को मिल रहा है. दरअसल श्रीनगर से स्वीत तक अलकनन्दा एक नाले के समान बह रही है. जिससे कि लोगों की त्यौहारों में नदी में स्नान से लेकर आचमन की क्रिया बुरी तरह से प्रभावित हो गई है.
पीएम तक पहुंची शिकायत: नदी के किनारे गंदगी से बुरी तरह से पट गए हैं, जिसको लेकर लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. इस सम्बंध में गंगा आरती समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित एनजीटी को जीवीके कम्पनी के खिलाफ शिकायत भेजी है. लोगों का कहना है कि अलकनंदा हाइड्रो प्रोजेक्ट द्वारा अलकनन्दा नदी की एक अविरल धारा इस पूरे इलाके में छोड़नी चाहिए.
दी उग्र आंदोलन की चेतावनी: श्रीनगर में मीडिया से बात करते हुए गंगा आरती समिति के अध्यक्ष प्रेम बल्लभ नैथानी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने 3 करोड़ की लागत से शारदा स्नान घाट का श्रीनगर में निर्माण करवाया. लेकिन इस घाट का निर्माण व्यर्थ जा रहा है. नदी में पानी ना होने की स्थिति में ना तो लोग नदी में स्नान ध्यान कर पा रहे हैं और ना ही गंगा आरती घाट पर मुमकिन हो पा रही है. ऐसी परिस्थिति में उन्होंने एनजीटी, प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्रियों को नदी की एक अविरल धारा छोड़ने की मांग उठाई है. ऐसा ना होने पर उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावनी सरकारों को दी है. उन्होंने कहा कि इस उम्र में भी अगर उन्हें भूख हड़ताल करनी पड़े तो वे गंगा की अविरल धारा के लिये भूख हड़ताल भी करेंगे.
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गंगा आरती के सदस्य और प्रसिद्ध रंगकर्मी विमल बहुगुणा ने भी कहा कि नदियों के प्रदेश उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजनओं के कारण लोगों को स्नान करने के लिए तक पानी नहीं मिल रहा है. ऐसे में इन बांधों का क्या फायदा जिससे लोगों के हक-हकूक तक प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने भी सरकार से नदी की धारा छोड़ने की मांग की है.