पौड़ी: गढ़वाल कमिश्नरी के 50 साल होने पर पौड़ी मुख्यालय में स्वर्ण जयंती मनाई जा रही है. 1 जनवरी 1969 को गढ़वाल कमिश्नरी का निर्माण किया गया था. कमिश्नरी बनने के बाद पौड़ी को मुख्यालय घोषित किया गया. लेकिन इसके बाद बावजूद ये जिला आज भी पलायन और रोजगार की समस्याएं झेल रहा हैं. इसका कारण है उत्तराखंड बनने के बाद पौड़ी से मंडलीय कार्यालय धीरे-धीरे देहरादून शिफ्ट होते चले गए, जिस कारण यहां पर लोगों का रुकने का रुझान कम होता चला गया. साथ ही लोग वर्तमान में पौड़ी छोड़ राजधानी या अन्य मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख करने लगे हैं.
वरिष्ठ पत्रकारों के अनुसार, साल 1969 के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. बी गोपाला रेड्डी ने यह सोचकर इसका निर्माण किया था कि अध्यात्म और प्राकृतिक सुंदरता से भरे इस गढ़वाल में प्रशासनिक इकाइयों को सुनियोजित करना चाहिए. विकास की धीमी गति और अधिकारियों की कम आवाजाही होने के कारण कुमाऊं और गढ़वाल की मंडल दोनों को अलग कर दिया गया.
वरिष्ठ पत्रकार अनिल बहुगुणा ने बताया कि गढ़वाल मंडल निर्माण के पीछे का उद्देश्य था कि इसे छोटे सचिवालय के रूप में संचालित किया जाए, जिससे इस परिधि में आने वाले पूरे क्षेत्रों के विकास कार्य में तेजी आ सके. वहीं, अब गढ़वाल मंडल के 50 साल पूरे होने पर कमिश्नरी स्वर्ण जयंती के रूप में धूमधाम से मनाई जा रही है. साथ ही मंडलीय कार्यालयों को देहरादून से संचालित किया जा रहा है. पौड़ी मुख्यालय की रौनक धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर है, जिस कारण लोगों को हर काम के लिए राजधानी दून की ओर रुख करना पड़ रहा है.