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पौड़ी का साइकिलिस्ट नेशनल लेबल पर मचाएगा धमाल, अश्विन रौथाण का रोड साइकिलिंग चैंपियनशिप में चयन

जिला मुख्यालय के पौड़ी गांव निवासी 14 वर्षीय अश्विन रौथाण ने साइकिलिंग के क्षेत्र में ही अपना भविष्य चुना. अ​श्विन ने Pauri cyclist Ashwin Rauthan बचपन से बड़े भाई अंशुल को साइकिल चलाता देखा. जिसके बाद वह भी साइकिलिंग के प्रति आकर्षित हुआ. अब अश्विन रौथाण ने साइकिलिंग को व्यवसायिक रूप से चुन लिया है.

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पौड़ी का साइकिलिस्ट नेशनल लेबल पर मचाएगा धमाल

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 4, 2023, 5:16 PM IST

पौड़ी:कहते हैं हर रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं, ऐ जिंदगी देख, मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं. जी हां ये पंक्तियां साहसिक खेलों के लिए समर्पित पौड़ी के युवा साइकिलिस्ट अश्विन पर सटीक बैठती है. अश्विन रौथाण का चन नेशनल रोड साइकिलिंग चैंपियनशिप के लिए हुआ है. अश्विन रौथाण बताते हैं कि इस खेल में जो​खिम तो बहुत है, ले​किन उन्हें इससे बहुत खुशी और उत्साह मिलता है. उन्होंने बताया अपने ही सीमित संसाधनाओं और बिना किसी प्रशिक्षण के उन्हाेंने इस खेल में महारथ हासिल की.

पौड़ी साइकिलिस्ट अश्विन रौथाण

ये हैं अश्विन की उपलब्धियां:अश्विन का चयन 27वीं नेशनल रोड साइकिलिंग चैंपियनशिप 2023 के लिए अंडर-14 आयुवर्ग में चयन हुआ है. अब वह 9 जनवरी से कर्नाटक में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय स्तर की चैंपियन​शिप में उत्तराखंड की ओर से खेलेंगे. अश्विन ने हल्द्वानी में हुई राज्य स्तरीय चैंपिय​नशिप में पहला स्थान प्राप्त किया. इससे पूर्व भी वह नेशनल माउंटेन साइकिलिंग में हिस्सा लेकर राष्ट्रीयस्तर पर 7वीं रैंक प्राप्त कर चुके हैं. इसके अलावा अश्विन ने देहरादून में हुई माउंटेन ट्रेल बाइकिंग मालदेवता में अंडर -14 में प्रथम स्थान प्राप्त किया. हाल ही में केलांग हिमाचल प्रदेश में हुई हाई एल्टीट्यूड माउंटेनिंग साइकलिंग में दूसरा स्थान पर रहे.

पौड़ी का साइकिलिस्ट नेशनल लेबल पर मचाएगा धमाल

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सरकार से मायूस हैं अश्विन रौथाण:युवा साइकिलिस्ट अश्विन ने बताया विश्व में सर्वाधिक रोमांचकारी खेलों में शुमार साइकिलिंग खेल के लिए उत्तराखंड में कोई व्यवसायिक संस्थान नहीं हैं. इतना ही नहीं प्रदेश सरकार से इस खेल के लिए कोई मदद या प्रशिक्षण का प्राविधान भी नहीं है.इस खेल के लिए उपकरण आदि बहुत महंगे हैं. खेल के लिए सही मानक की साइकिल ही कम से कम दो लाख की मिलती है, जबकि हेलमेट, एल्बो गार्ड, नी-गार्ड आदि सेफ्टी उपकरण भी हजारों रूपए के मिलते हैं. ऐसे में युवाओं का इस खेल को पेशेवर रूप में हिस्सा लेना काफी मुश्किल होता है. अश्विन ने बताया उनके पिता महेंद्र रौथाण सरकारी शिक्षक व माता भी जॉब करती हैं. जिससे उन्हें इस खेल के लिए जरूरी सहायता और प्रोत्साहन दोनों मिल पाता है.

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