श्रीनगर: सावन के पहले सोमवार को नगर के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. बारिश के बावजूद भी भक्त अपने घरों से निकलर शिव मंदिर में दूध, जल और बेल पत्र का भोग लगाने पहुंच रहे हैं. ऐसे में श्रीनगर के प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव मंदिर में भी दूर-दराज से श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंचे. मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव जो पूरे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसकी मनोकामना जरूरी पूरी होती है.
पुराणों के अनुसार, जब माता सती अपने पिता दक्ष प्रजापति से कुपित होकर यज्ञ कुंड में भस्म हो गई थी तो तब उन्होंने दूसरा जन्म हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में लिया. पार्वती रूप मां सती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूजा अर्चना की. जिस माह वो भगवान शिव की पूजा में लीन थी, वो माह सावन का था. जिसके चलते भगवान शिव को सावन का माह बहुत प्रिय है.
कमलेश्वर मंदिर की महिमा: कमलेश्वर महादेव एक ऐसा मंदिर है, जो देखने में अन्य शिवालयों की तरह ही है. लेकिन यह संतान प्राप्ति के लिए निभाई जानी वाली पूजा की रस्म बेहद खास है. संतान प्राप्ति की इच्छा लिए भक्त कमलेश्वर मंदिर में घी का दीपक अपने हाथों में लेकर पूरी रात खड़े रहते हैं. ऐसे में एक रात की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव भक्तों की झोली भर देते हैं.
कमलेश्वर या सिद्धेश्वर मन्दिर, गढ़वाल के सर्वाधिक प्रसिद्ध पौराणिक मन्दिरों में से एक है. कमलेश्वर मन्दिर के बिना श्रीनगर को अस्तित्व विहीन कहा जा सकता है. 'यत्र देवः शिवः साक्षाद्वतते शिवयासहः, स्वयं समग्रभावेन नन्दि भृंग्यादि भिर्नृपः, काश्यादिषु च तीर्थेषु वसति ह्यंश मात्रतः, अत्रवै हिमवत्प्रान्ते सर्वो निवसति प्रभुः' अर्थात, ''काशी आदि तीर्थों में भगवान शिव अंश मात्र में वास करते हैं. किन्तु हिमालय में श्रीक्षेत्र के कमलेश्वर महादेव मन्दिर में साक्षात शिव अपने गणों के साथ निवास करते हैं.''