श्रीनगर: एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के 13 छात्रावास और 3 किलोमीटर क्षेत्र में फैले दो परिसरों के लिए एक भी डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ नहीं है. यहां सिर्फ एक ही एंबुलेंस उपलब्ध है, लेकिन एंबुलेंस चालक भी नहीं है. ऐसे में तबीयत खराब होने पर छात्र-छात्राओं को परेशानी उठानी पड़ रही है.
गढ़वाल विश्वविद्यालय में 7 महिला और 6 पुरुष छात्रावास हैं. इनमें 4 छात्रावास बिड़ला परिसर और 9 छात्रावास चौरास परिसर में स्थित है. दोनों परिसरों की दूरी 3 किलोमीटर है. इन परिसरों मेंं सैकड़ों छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. जबकि छात्रावासों में लगभग एक हजार छात्र-छात्राएं रहते हैं. स्वास्थ्य सुविधा की बात करें तो दोनों परिसरों में स्वास्थ्य केंद्र स्थापित हैं, लेकिन यहां छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
इसकी वजह यहां डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ का अभाव है. यहां एलोपैथिक डॉक्टर का एक पद सृजित है, लेकिन आज तक स्थायी डॉक्टर की तैनाती नहीं हो पाई है. बीच में काम चलाने के लिए अस्थायी तौर पर होम्योपैथी डॉक्टर की नियुक्ति की गई, लेकिन उससे बात नहीं बनी. क्योंकि यह केंद्र प्राथमिक चिकित्सा के लिए हैं, जो होम्योपैथी में मुश्किल है.
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छोटे-मोटे उपचार के लिए केंद्र में नर्सिंग स्टाफ भी नहीं है. कर्मचारियों के नाम पर दोनों परिसर में एक-एक फार्मासिस्ट और सहायक नियुक्त हैं. फार्मासिस्ट बिना डॉक्टर की सलाह की दवा नहीं दे सकते हैं. एंबुलेंस भी एक ही उपलब्ध है. इस एंबुलेंस के लिए स्थायी चालक भी विवि को नहीं मिल पा रहा है.
यदि चौरास परिसर स्थित छात्रावास में निवासरत किसी छात्र-छात्रा की तबीयत खराब हो जाए, तो विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है. दो किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज पहुंचने के लिए छात्र-छात्राओं को एंबुलेंस नहीं मिल पाती है. जबकि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं कई बार चौरास परिसर में स्थायी रूप से एंबुलेंस की तैनाती और 2 चालक रखने की मांग कर चुके हैं. ताकि चालक 12-12 घंटे की शिफ्ट में काम करें, लेकिन अभी तक विवि की ओर से कोई पहल नहीं हो पाई है.
बता दें कि 13 जुलाई की देर रात विवि के चौरास परिसर स्थित नंदा देवी महिला छात्रावास में छात्रा को छाती में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हुई. उसके साथियों ने एंबुलेंस चालक को फोन किया, लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया. इस आपातकालीन स्थिति में छात्राओं को 108 को कॉल करना पड़ा. कीर्ति नगर से एंबुलेंस पहुंचने में आधा घंटा लग गया, इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज उपचार के लिए भेजा गया. उपचार के बाद वह गुरुवार की सुबह छात्रावास लौट आई है.