श्रीनगर: एमओयू ज्ञापन के विषय में जानकारी देते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि,"यह एक सर्वविदित तथ्य है कि 18-30 वर्ष की आयु अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह वह उम्र है जहां करियर, रिश्ते, साथियों, माता-पिता के दबाव और भविष्य के बारे में चिंता जैसे कई मुद्दे एक साथ सामने आते हैं. इन मुद्दों का युवाओं के समुचित विकास, अकादमिक और पेशेवर प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर पड़ता है. बावजूद इसके उन्हें तनाव से निपटने और नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाने के बारे में न तो घर पर सिखाया जाता है और न ही स्कूल में.
साॅफ्ट स्किल्स पर फोकस करती है नई शिक्षा प्रणाली: वर्तमान शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से तकनीकी कौशल के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि नई शिक्षा नीति- 2020 तकनीकी कौशल और लिबरल आर्ट्स सॉफ्ट स्किल्स जैसे कि कम्युनिकेशन, डिस्कशन, डिबेट, टीमवर्क, सामाजिक और नैतिक जागरूकता आदि के संयोजन से छात्रों के समग्र विकास पर केंद्रित है.
क्या है उद्देश्य: प्रोफेसर अवस्थी ने आगे कहा, "शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को जीवन के लिए तैयार करना है. एनआईटी, उत्तराखंड और द आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के बीच इस साझेदारी का उद्देश्य मानव की बौद्धिक, सौंदर्य, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक क्षमताओं को एकीकृत करना है. इस तरीके से विकसित करने के लिए द आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के आजमाए और परखे हुए छात्र विकास कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों को नई शिक्षा नीति- 2020 के अनुसार एक समग्र, बहु-अनुशासनात्मक और मूल्य-आधारित शिक्षा देने के लिए "लिबरल आर्ट्स" के ज्ञान पहलुओं में प्रशिक्षित करना है.
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यूथ एंपावरमेंट को कर रहे प्रमोट:द आर्ट ऑफ लिविंग संस्था द्वारा स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए यूथ एम्पावरमेंट एंड स्किल्स प्रोग्राम का आयोजन किया गया. इस प्रोग्राम में छात्रों को, तनाव प्रबंधन, समग्र शिक्षा, पारस्परिक संबंध, सहानुभूति और मानवीय मूल्य कौशल, बेहतर एकाग्रता, आत्मविश्वास, प्रेरणा, जिम्मेदारी, नेतृत्व, समय प्रबंधन, टीम वर्क, स्वस्थ आदतें और पर्यावरण, सामाजिक उत्तरदायित्व, स्वास्थ्य, आत्म-जागरूकता, सकारात्मक दृष्टिकोण आदि के विषय में प्रशिक्षित किया जायेगा.
इसके अलावा आर्ट ऑफ़ लिविंग द्वारा संकाय सदस्यों और कर्मचारियों और अन्य हित धारकों के लिए तनाव, चिंता, नकारात्मकता से छुटकारा पाने और शांतिपूर्ण मन प्राप्त करने के लिए विशेष सत्र आयोजित किये जाएंगे. ताकि वे उत्साह, आशावाद, सामंजस्यपूर्ण पारस्परिक सम्बन्ध और टीम वर्क की भावना के साथ काम कर सकें और संस्थान के विकास में अपना शत प्रतिशत योगदान दे सकें.