श्रीनगर: पहाड़ में शारीरिक विकृति को ठीक करने और जले रोगियों के उपचार की सुविधा उपलब्ध हो गई है. राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में प्लास्टिक सर्जन की तैनाती होने से लोगोंं को अब एम्स ऋषिकेश या प्राइवेट अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. बड़ी बात यह है कि जानवरों के काटने और दुर्घटनाओं से बने घावों के निशान भी यहीं ठीक किए जाएंगे.
राजकीय मेडिकल कॉलेज में प्लास्टिक सर्जन की ओपीडी और सर्जरी शुरू हो गई है. यहां एम्स ऋषिकेश में तीन साल की सेवा दे चुके डॉ. निशंक मनोहर ने सहायक प्रोफेसर (Nishank Manohar Assistant Professor) के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया है. डॉ. मनोहर ने बताया प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से जन्मदोष के कारण होने वाली असामान्यता मसलन कटे होंठ व तालू (क्लेफ्ट लिप एंड पैलेट), जुड़ी हुई उंगलियां, पैदाइशी निशान (बर्थ मार्क्स), कैंसर युक्त ऊतक (टिशू) के कारण प्रभावित चेहरा, गंभीर रूप से जले और मोटर वाहन दुर्घटना व जानवरों के काटने से बने घावों का उपचार किया जाता है.
डॉ निशंक मनोहर ने श्रीनगर में संभाला प्लास्टिक सर्जन का चार्ज पढे़ं- किसान नेता राकेश टिकैत ने अंकिता भंडारी के परिजनों से की मुलाकात, पीएम रिपोर्ट पर उठाये सवाल उन्होंने बताया कि पहाड़ में जंगली जानवरों के काटने के काफी केस आते हैं. जंगली जानवर के साथ संघर्ष में हुए घायल लोगों की सिर की चमड़ी निकल जाती है. शरीर पर दांतों और नाखूनों से काफी घाव हो जाते हैं. प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से प्रभावित हिस्सों को लगभग पुराने स्वरूप में लौटाया जाता है.
पढे़ं-श्रीनगर: रेलवे प्रभावितों से मिले किसान नेता राकेश टिकैत, दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
डॉ. मनोहर ने बताया कि सर्जरी के दौरान मरीज के स्वस्थ हिस्से की त्वचा लेकर खराब हो चुकी त्वचा को बदला जाता है. इसे स्किन ग्राफ्ट कहा जाता है. इसी प्रकार शरीर से जीवित टिशू लेकर प्रभावित स्थान पर लगाए जाते हैं. यह टिशू प्रभावित क्षेत्र में वृद्धि कर त्वचा को पूर्व की स्थिति में लाते हैं. बता दें मंगलवार, बृहस्पतिवार और शनिवार को डॉ. मनोहर ओपीडी में सेवाएं देंगे. आपातकालीन स्थिति में 24 घंटे यह सुविधा उपलब्ध है.