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स्वास्थ्य मंत्री के शहर में टपकने लगी अस्पताल की छत, 6 महीने पहले 16 करोड़ में बना था

श्रीनगर में संयुक्त अस्पताल को बने महज 6 महीने का वक्त बीता है. लेकिन पहली मॉनसून में ये अस्पताल अपने निर्माण में किए गए भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है. 16 करोड़ के अस्पताल की छत टपकने लगी है. चौंकाने वाली बात ये है कि ये अस्पताल स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र के शहर में है.

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टपकने लगी नवनिर्मित सयुंक्त अस्पताल की दीवारें

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Published : Jul 29, 2021, 4:42 PM IST

श्रीनगर: सरकारी निर्माणों में किस तरह धांधली की जाती है अगर इसका जीता-जागता उदाहरण देखना है तो हम आपको दिखाते हैं. ये है श्रीनगर का नवनिर्मित राजकीय संयुक्त उपजिला चिकित्सालय जिसे बने महज 6 महीने का वक्त बीता है. इसका उद्घाटन तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था, लेकिन पहले ही मॉनसून सीजन में इस अस्पताल निर्माण में की गई धांधली टपकती दीवारों के साथ बाहर आ गई.

जी हां, मामला नवनिर्मित संयुक्त अस्पताल का है, जिसको बने हुए अभी मात्र 6 माह ही हुए हैं. अस्पताल में पानी का रिसाव होने लगा है. ये अस्पताल भवन की दूसरी मंजिल है, जहां प्रसव वॉर्ड, बच्चा वॉर्ड, जनरल वॉर्ड, ओटी और निचली मंजिल के कुछ कमरों में पानी का रिसाव हो रहा है. इसने अस्पताल निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

टपकने लगी अस्पताल की छत

गौरतलब है कि इस अस्पताल को 16 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है. इस अस्पताल का निर्माण रेलवे विकास निगम ने किया है. इसका उद्घाटन तत्कालीन सीएम त्रिवेद सिंह रावत ने किया था. इतना ही नहीं ये अस्पताल प्रदेश के स्वाथ्य्य मंत्री धन सिंह रावत की विधानसभा सीट का है. जिसकी मॉनिटरिंग वे खुद राज्य मंत्री रहते हुए करते रहे थे.

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जानकारी के लिए बता दें कि संयुक्त अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग को बने हुए 100 साल से अधिक का समय हो गया था. जिसके चलते इसकी जगह 52 बेड का नया अस्पताल बनाया गया, जहां 6 महीने से मरीजों का इलाज चल रहा है. अस्पताल में कार्य करने वाली कर्मी रूपा ने बताया कि जब कभी बारिश होती है तो बहुत से कमरों में दीवारों से टपक कर पानी फर्श पर जमा हो जाता है. बरसात के दिनों में लीकेज के चलते ये पानी फर्श पर बिखरा रहता है, जिसके निकलने का स्रोत पता नहीं चलता है.

वहीं, अस्पताल के सीएमएस डॉ. गोंविद पुजारी ने कहा कि दीवारों से पानी लीकेज के चलते उन्हें एक पूरे वॉर्ड को शिफ्ट करना पड़ा. इस संबंध में रेलवे विकास निगम को समस्या से अवगत कराया गया है, जल्द ही इस समस्या को ठीक किया जाएगा.

वहीं, जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली सरकार में अस्पताल निर्माण में की गई धांधली सवालिया निशाना खड़ा करती है. अब देखने वाली बात होगी कि भवन निर्माण में किए गए भ्रष्टाचार को लेकर क्या कार्रवाई की जाती है.

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