श्रीनगर: नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय (Hemvati Nandan Bahuguna Garhwal University) को संकाय सदस्यों की नियुक्ति हेतु चल रही प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने भूगोल विषय सहित अवशेष पदों हेतु दोबारा से विज्ञप्ति जारी करने के आदेश भी विश्वविद्यालय को दिए हैं.
गौर हो कि गढ़वाल विश्वविद्यालय (Garhwal University) के भूगोल विभाग में 10 से 15 सितंबर के मध्य भूगोल विभाग में संकाय सदस्यों (शिक्षकों) की नियुक्ति हेतु साक्षात्कार होने थे. लेकिन एक अभ्यर्थी सुमिता पंवार ने आवेदन पत्र निरस्त होने पर हाईकोर्ट की शरण ली. अभ्यर्थी ने आवेदन पत्र के साथ ओबीसी प्रमाण पत्र (OBC certificate) लगाया था, वह केंद्र सरकार के मानक के अनुसार नहीं था. अभ्यर्थी का कहना था कि ओबीसी प्रमाण पत्र निरस्त होने पर विश्वविद्यालय को उसे अनारक्षित श्रेणी में शामिल करना चाहिए था. हाईकोर्ट ने सुमिता की याचिका पर नौ सितंबर को सुनवाई करते सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए इसका पालन करने के निर्देश दिए. साथ ही यह कहा कि आगामी साक्षात्कार कोर्ट के आगामी आदेशों के अधीन होंगे.
आरक्षण के नियमों का पालन करने के निर्देश. पढ़ें- खुशखबरी! गढ़वाल विवि में सिविल सर्विसेज की फ्री कोचिंग शुरू, IAS और PCS बनेंगे छात्र हाईकोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय ने अन्य विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित कर दी. इस बीच विश्वविद्यालय की ओर से कोर्ट में एफिडेविट देते हुए सफाई दी गई कि आरक्षण मानक पूरा न होने पर आवेदन निरस्त किया गया. लेकिन कोर्ट विश्वविद्यालय के इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने माना कि नियमों के तहत आरक्षित श्रेणी का आवेदन निरस्त होने पर विश्वविद्यालय को स्वत: ही अभ्यर्थी को अनारक्षित सूची में सम्मिलित करना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस आरसी खुल्बे ने सुनवाई के बाद आदेश देते हुए विश्वविद्यालय को शेष पदों पर नियुक्ति हेतु पूर्व में जारी विज्ञप्ति का संशोधन करने के बाद प्रकाशित करने के आदेश दिए.
इसमें याचिकाकर्ता के विषय भूगोल को भी शामिल करने के आदेश दिए हैं. कुलसचिव गढ़वाल विश्वविद्यालय (Registrar Garhwal University) डॉ अजय खंडूड़ी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए शेष पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञप्ति को संशोधित कर प्रकाशित किया जाएगा. सरकार के भी जो भी नियम और कानून हैं, उसका हाईकोर्ट के आदेश के तहत अनुपालन किया जाएगा.