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NIT उत्तराखंड और एशिया विश्वविद्यालय के बीच MoU साइन, रिसर्च और शिक्षा क्षेत्र में मिलेगा सहयोग

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Technology) (एनआईटी) उत्तराखंड और एशिया विश्वविद्यालय ( Asia University) (एयू) के बीच एमओयू हस्ताक्षर हुआ है. एनआईटी उत्तराखंड (Uttarakhand NIT) और एशिया विश्वविद्यालय, अनुसंधान और शिक्षा कार्यक्रमों पर सूचना के आदान-प्रदान, शिक्षण, सीखने की सामग्री और अन्य प्रासंगिक साहित्य पर जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए सहमत हुए हैं.

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Published : Dec 2, 2022, 2:19 PM IST

Updated : Dec 2, 2022, 5:30 PM IST

श्रीनगर: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Technology) (एनआईटी) उत्तराखंड और एशिया विश्वविद्यालय ( Asia University) (एयू) के बीच एमओयू हस्ताक्षर हुआ है. एनआईटी निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी और एशिया विश्वविद्यालय (एयू), ताइवान के अध्यक्ष डा. जेफरी जेपी त्साई द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया है.

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पारस्परिक रुचि के आधार पर विज्ञान, इंजीनियरिंग, मानविकी और सामाजिक विज्ञान के विषयों में रिसर्च और शिक्षा में एक दूसरे की क्षमता वर्धन के लिए अकादमिक सहयोग करना है. एमओयू हस्ताक्षर पर प्रो.अवस्थी ने बताया कि इस एमओयू में उल्लिखित नियमों और शर्तों के अनुसार एनआईटी उत्तराखंड और एशिया विश्वविद्यालय पारस्परिक हित के क्षेत्रों में अकादमिक सहयोग के लिए एक कार्यक्रम स्थापित करने के लिए सहमत हुए हैं.

NIT उत्तराखंड और एशिया विश्वविद्यालय के बीच साइन MoU.

एमओयू की प्रमुख विशेषताओं की जानकारी देते हुए प्रो. अवस्थी ने कहा कि, यह एमओयू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप छात्रों के लिए बहुआयामी और अंतःविषय शिक्षा प्रदान करना एवं अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है.

एनआईटी निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी.
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इसके अंतर्गत एनआईटी उत्तराखंड (Uttarakhand NIT) और एशिया विश्वविद्यालय, अनुसंधान और शिक्षा कार्यक्रमों पर सूचना के आदान-प्रदान, शिक्षण, सीखने की सामग्री और अन्य प्रासंगिक साहित्य पर जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए सहमत हुए हैं. इसके अलावा इस एमओयू में पारस्परिक रुचि के आधार पर अनुसंधान और शिक्षा कार्यक्रम, आपसी विषयों पर संयुक्त रूप से अल्पकालिक सतत शिक्षा कार्यक्रम, सेमिनार, सम्मेलन या कार्यशाला आयोजित करना, वित्त पोषण एजेंसियों द्वारा प्रायोजित अनुसंधान या प्रशिक्षण कार्यक्रमों में संयुक्त रूप से प्रस्ताव देना, शिक्षा और अनुसंधान के उद्देश्य के लिए सीमित अवधि के लिए संकाय और छात्रों का आदान-प्रदान करना भी शामिल है. इस अवसर पर संस्थान के प्रभारी कुलसचिव डा. धर्मेंद्र त्रिपाठी ने प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि समझौता ज्ञापन बहु-विषयक अनुसंधान अंतराल और ज्ञान-साझाकरण को पाटने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

Last Updated : Dec 2, 2022, 5:30 PM IST

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