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बाघ के हमले से बचने के लिए सिर पर मुखैटा लगाकर गश्त करेंगे जवान, आधुनिक हथियारों से होगा बचाव

उत्तराखंड के जंगलों में बाघों का व्यवहार बदल रहा है. ऐसे में अब वन कर्मियों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं.

बाघ के हमलों से परेशान वन विभाग.

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Published : Oct 24, 2019, 11:03 AM IST

Updated : Oct 24, 2019, 11:13 AM IST

कोटद्वार: बीते जुलाई से अक्टूबर माह तक कालागढ़ टाइगर रिजर्व की प्लेन रेंज में बाघ द्वारा दो वन कर्मियों को निवाला बनाया जा चुका है. जिसके बाद अब बाघ के इस बदलते रवैये की जांच के लिए कमेटी गठित करने की तैयारी चल रही है. साथ ही बाग से सुरक्षा के लिए वन कर्मियों को सिर के पीछे आदमी का मुखौटा लगाने और गश्त पर तीन के स्थान पर चार वन कर्मियों को एक साथ रहने की सलाह दी गई है.

कालागढ़ टाइगर रिजर्व की प्लेन रेंज में 4 माह में दो वन कर्मियों पर बाघ के हमले हो चुके हैं. जिसके बाद वन मंत्री डॉ. हरक सिंह ने बाघों के बदलते व्यवहार पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि वन कर्मियों की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि कार्बेट के घनत्व क्षेत्र में 150 बाघों की रहने की क्षमता है. लेकिन वर्तमान में कार्बेट में 250 बाघ मौजूद हैं, यह बाघों के व्यवहार में बदलाव का मुख्य कारण हो सकता है. जिसकी जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा.

बाघ के हमले को लेकर सरकार चिंतित.

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बता दें कि कालागढ़ टाइगर रिजर्व की प्लेन रेंज में चार माह के भीतर बाघ के हमले में दो वन कर्मियों की मौत हो चुकी है. जिसके बाद वन महकमा बाघ के बदले व्यवहार से चिंतित है. वन विभाग अब वन कर्मियों को गश्त के लिए आधुनिक उपकरणों और हथियारों से लैस करेगा. साथ ही कार्बेट टास्क फोर्स का गठन कर 82 पदों का सृजन किया जाएगा. जिसके लिए पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता दी जाएगी.

Last Updated : Oct 24, 2019, 11:13 AM IST

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