उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कल तक जो लोग थे परिवार के विरोधी, अब वो ही बनेंगे खंडूड़ी के खेवनहार

बता दें कि मनीष खंडूड़ी गढ़वाल लोकसभा से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी घोषित हुए हैं. चुनावी महौल क्या कुछ नहीं करवा देता है. पिता के विरोधी रहे सुरेंद्र सिंह नेगी से मनीष लोकसभा जीत का आशीर्वाद ले रहे हैं. तो वहीं वे कह भी रहे है कि आपने 2012 के चुनाव में मेरे पिताजी को हराया था लेकिन आज मैं उनका बेटा आप से जीत की उम्मीद रखता हूं

By

Published : Mar 28, 2019, 12:07 PM IST

खंडूड़ी के लिए अब विरोधी हैं जरूरी.

कोटद्वार: गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी ने पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी और पूर्व विधायक शैलेन्द्र रावत से गढ़वाल लोकसभा सीट पर उनका सहयोग करने की उम्मीद जताई है. बता दें कि 2012 के विधान सभा चुनाव में सुरेंद्र सिंह नेगी ने जनरल खंडूरी को भारी अंतर से हराया था. वहीं 2017 में शैलेंद्र सिंह रावत ने ऋतु खंडूरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. ऐसे में गढ़वाल लोकसभा सीट के प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी अपने ही परिवार के विरोधी नेताओं से हाथ मिला कर गढ़वाल लोकसभा सीट पर जीत की उम्मीद जता रहे हैं .


बता दें कि मनीष खंडूड़ी गढ़वाल लोकसभा से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी घोषित हुए हैं. चुनावी महौल क्या कुछ नहीं करवा देता है. पिता के विरोधी रहे सुरेंद्र सिंह नेगी से मनीष लोकसभा जीत का आशीर्वाद ले रहे हैं. तो वहीं वे कह भी रहे है कि आपने 2012 के चुनाव में मेरे पिताजी को हराया था लेकिन आज मैं उनका बेटा आप से जीत की उम्मीद रखता हूं. मनीष भरोसा जताते हुए कह रहे हैं कि आप मुझे गढ़वाल लोकसभा सीट से भारी मतों से जीत दिलाआगे.

खंडूड़ी के लिए अब विरोधी हैं जरूरी.


वहीं दूसरी ओर 2017 के विधानसभा चुनाव में यमकेश्वर विधानसभा से ऋतु खंडूरी के विपक्ष में चुनाव लड़ने वाले शैलेंद्र रावत भी उनके साथ दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में मनीष खंडूड़ी अपने परिवार के राजनीति विरोधियों के साथ बैठकर जीत की उम्मीद लगा रहे हैं. जो बात कही न कही जनता के गले नहीं उतर रही है.


वहीं गढ़वाल लोकसभा संसदीय सीट पर स्थानीय निवासी महेश नेगी का नॉमिनेशन हुआ है. वे बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आये थे. आज वे कह रहे हैं कि हम तो खानदानी कांग्रेसी हैं. ऐसे में कौन नेताओं को समझाए की ये जनता है सब जानती है इसे कुछ बताने की जरूरत नहीं होती. ये न जाने कब किसे सर आखों पर बैठा देती है और न जाने कब किसे अर्श से फर्श पर ले आती है.स्थानीय लोगों का कहना है कि राजनीति बहुत ही ओछी हो गई . सत्ता का सुख भोगने के लिए नेता दल बदल के साथ विचारधारा बदलने में भी समय नहीं लगाते हैं. ऐसे लोगों को सबक सिखाना जरूरी होता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details