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ग्रामीणों ने पलायन आयोग के औचित्य पर उठाए सवाल, कहा- आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं - Migration Commission

भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने उत्तराखंड ग्राम विकास एवं पलायन आयोग के औचित्य पर सवाल उठाते हुए प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करते दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि पलायन आयोग को नाम ही गलत दिया गया है.  जिसमें पलायन रोकने की कोई बात नहीं रखी गई है.

पलायन से सूने हुए गांव.

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Published : Apr 21, 2019, 3:43 PM IST

पौड़ी:उत्तराखंड में पलायन से गांव के गांव खाली हो गए हैं. प्रदेश में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोगों ने तेजी से पलायन हुआ है. भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने उत्तराखंड ग्राम विकास एवं पलायन आयोग के औचित्य पर सवाल उठाते हुए प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करते दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि पलायन आयोग को नाम ही गलत दिया गया है. जिसमें पलायन रोकने की कोई बात नहीं रखी गई है. वहीं उन्होंने कहा कि पलायन आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं मिला है.

जानकारी देते पूर्व मंत्री बीजेपी मोहन सिंह.

वहीं सरकारी विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले सात वर्षों में 700 से ज्यादा गांव खाली हो चुके हैं. वहीं 10 वर्षों में 3.83 लाख से अधिक लोगों ने अपना गांव छोड़ कर चले गए हैं. जिनमें 50 प्रतिशत लोगों ने आजीविका की तलाश में पलायन किया है. पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने कहा कि पलायन आयोग को संवैधानिक दर्जा न होने से आयोग की सिफारिशों और तथ्यों को मानने के लिए सरकार बाध्य नहीं है. साथ ही कहा कि उत्तराखंड वासियों की आजीविका गांवों में निर्भर करती है. गांवों के आर्थिक विकास की कार्ययोजना दूरगामी व सीमांत गांवों को ध्यान में रखकर तैयार की जानी चाहिए. जिसमें तीर्थाटन, पर्यटन व सांस्कृतिक विरासत को संजोया जाना चाहिए.

साथ ही प्रदेश सरकार पर हमला करते हुए उन्होनें कहा कि सरकार ने पलायन आयोग का गठन तो किया है, लेकिन इसमे नियंत्रण की बात को कहीं तवज्जों नहीं है तो फिर पलायन आयोग का औचित्य ही क्या रह जाता है. वहीं आयोग को कोई संवैधानिक दर्जा नहीं दिया गया है ना ही बताया गया है कि इसका कार्यकाल होगा.
उन्होंने कहा कि देश में नीति आयोग ही संवैधानिक है. जिसकी तैयार कार्ययोजनाओं का केंद्र व प्रदेश सरकारें अनुपालन करती हैं. अगर प्रदेश सरकार पलायन को रोकने की दिशा में गंभीर है तो पलायन आयोग की सिफारिशें नीति आयोग को सौंपी जानी चाहिए.

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