देवप्रयाग/श्रीनगरःमशहूर पर्यावरणविद् स्व. सुंदरलाल बहुगुणा की अस्थियों को देवप्रयाग में विसर्जित की गईं हैं. इस दौरान उनके परिवार के लोग मौजूद रहे. बता दें कि बीते दिनों कोरोना से संक्रमित मशहूर पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हो गया था. बहुगुणा ने एम्स ऋषिकेश में आखिरी सांस ली थी. उन्हें 8 मई को कोरोना संक्रमित होने के बाद एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था.
मशहूर पर्यावरणविद् स्व. सुंदरलाल बहुगुणा की अस्थियां आज संगम नगरी देवप्रयाग में विसर्जित की गईं. इस दौरान कोविड 19 गाइडलाइन का पूरा पालन किया गया. मलेथा में 'हिमालय बचाओ' आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ता, ग्रामीणों ने उनके अस्थि कलश पर फूल चढ़ाकर अस्थि कलश यात्रा को देवप्रयाग के लिए रवाना किया. इस दौरान बहुगुणा परिवार के बेहद करीबी और हिमालय बचाओ आंदोलन के संयोजक समीर रतूड़ी अस्थि कलश को लेकर देवप्रयाग पहुंचे. जहां सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकारों उनके योगदान को याद किया गया.
पढ़ें-जल-जंगल-जमीन के लिए जीते थे सुंदरलाल बहुगुणा, पहाड़ों की थी चिंता
सुंदरवन में भी पेड़-पौधों के बीच अस्थियां विसर्जित
देवप्रयाग के अलावा सुंदरलाल बहुगुणा की अस्थियों को आज देहरादून के सुंदरवन में बड़े-बड़े पेड़-पौधों के बीच भी विसर्जित किया गया. दरअसल, सुंदरलाल बहुगुणा को सुंदरवन बेहद प्रिय था और वह जब मन करता तब इस मनमोहक जंगल में आकर रुक जाते थे. उनके शिष्य और पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी से पर्यावरण को लेकर गहरी चर्चा भी किया करते थे. सुंदरलाल बहुगुणा ने एक सूखी और बंजर जमीन पर हरा भरा वन तैयार करने की जो कल्पना की थी, वह अब साकार रूप ले चुकी है.
पढ़ें-पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा ने पहाड़ को दिया 'जीत का मंत्र', हिमालय के थे रक्षक
जोशी बताते हैं कि जब इस जंगल को विकसित किया जा रहा था तब भी सुंदरलाल जी लगातार अपनी रायशुमारी देते रहते थे. साल 2010 में सुंदरलाल बहुगुणा ने खुद यहां पर पेड़ लगाया था. उसके बाद यहां के जंगलों में पेड़ों की संख्या भी बेहद अधिक हो गई है. वन एवं पर्यावरण के लिए काम करने वाले सभी लोगों की ओर से सुंदरलाल बहुगुणा की अस्थियों को अनिल जोशी ने यहां विसर्जित किया और उनकी अस्थियों को पौधों को समर्पित कर दिया.
आपको बता दें कि सुंदरबन में तरह-तरह के पेड़ और वन्यजीव पाए जाते हैंं. साल 2010 में सुंदरबन को फूड पार्क फॉर वाइल्ड एनिमल्स के रूप में भी स्थापित किया गया था. इसी वक्त उन्होंने पहला पौधा लगाकर उस जंगल की नींव रखी थी.