बाढ़ पीड़ितों ने मांगी मदद कोटद्वार: उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से चारों ओर आपदा की स्थिति बनी हुई है. कोटद्वार में 13 अगस्त मध्य रात्रि में खो नदी भयानक सैलाब में गाड़ीघाट और काशीरामपुर तल्ला के कई घर बह गये. रात्रि के समय घर बहने से चीख पुकार के साथ अफरातफरी का माहौल बन गया था.
कोटद्वार में बाढ़ ने किया तबाही का मंजर: तत्काल कोटद्वार तहसील प्रशासन ने खो नदी के जद में बने सभी घरों को खाली करवा दिया था. मौजूदा समय में खो नदी का रौद्र रूप गाड़ीघाट वार्ड नंबर 4 की ओर बना हुआ है. स्थानीय लोगों ने तहसील प्रशासन से मांग की है कि गाड़ीघाट का अस्तित्व बचाने के लिए पोकलैंड मशीन की मदद से नदी के रुख को मध्य में किया जाये. गाड़ीघाट से काशीरामपुर तल्ला तक सुरक्षा दीवार लगाकर लोगों को सुरक्षा सुनिश्चित करें. कोटद्वार उप जिलाधिकारी सोहन सिंह सैनी ने बताया कि कोटद्वार सबसे ज्यादा आपदा से प्रभावित हुआ है. मालन नदी, खो नदी और सुखरो से भू कटाव हुआ है. सिंचाई विभाग द्वारा नदी के किनारे सुरक्षा दीवार निर्माण का कार्य युद्धस्तर किया जा रहा है. खो नदी में गाड़ीघाट क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा कार्य जल्द किया जायेगा.
घर बचाने दर दर भटक रहे लोग: कोटद्वार नगर क्षेत्र में आपदा के भयानक मंजर बने हुए हैं. गाड़ीघाट वार्ड नंबर 4 निवासी सुरक्षित खड़े घर बचाने के लिए दर दर भटक रहे हैं. गाड़ीघाट आपदा पीड़ितों की फरियाद न नेता सुन रहे न सरकारी हुक्मरान. गाड़ीघाट क्षेत्र में अधिकांश लोग मजदूर तबके के हैं. दो जून की रोटी, दाल के लिए मजदूरी पर निर्भर रहते हैं.
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दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट: पीड़ितों ने बताया कि भारी बरसात में मजदूरी भी नहीं मिल रही है. गाड़ीघाट आपदा प्रभावित 70 वर्षीय राबिया ने बताया कि मजदूरी कर अपना पेट काट कर जमा-पूंजी से बुढ़ापे के लिए आशियाना बनाया, वह भी बह गया. पति का पहले ही स्वर्गवास हो गया. बुढ़ापे में बेसहारा हो गई हूं. कोई हमारी मदद नहीं कर रहा है. 72 वर्षीय दीवान चंद प्रजापति ने बताया कि आपदा के बाद सांसद, विधायक, पूर्व विधायक, जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी सभी आये. लेकिन 12 दिन से हमारी पीड़ा पर मरहम लगाने कोई नहीं आ रहा है. लोक निर्माण विभाग के अधिकारी आये. वह कहने लगे कि हम घर बचाने नहीं आये. घर बहने दो. अपने विभाग के गाड़ीघाट पुल की सुरक्षा के लिए आये हैं. सरकारी तंत्र और नेता गाड़ीघाट व काशीरामपुर तल्ला आपदा प्रभावितों को आश्वासन की घुट्टी पिला रहे हैं.
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