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कोटद्वार: धड़ल्ले से चल रहा है नदियों में अवैध खनन, प्रशासन बेखबर - कोटद्वार नदियों में खनन जारी

कोटद्वार में इन दिनों खनन माफिया का राज चल रहा है. खनन माफिया बेखौफ होकर नदियों में दो से तीन मीटर तक गहरे गड्ढे बना बना दिये है. जो आने वाली बरसात में बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती हैं. वहीं, इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है.

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नदियों में खनन

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Published : Jan 12, 2020, 3:00 PM IST

कोटद्वार: स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से खनन माफिया दिनदहाड़े नदियों का सीना चीर रहे हैं. ऐसे में अवैध खनन के कारण नदियों में 2 से 3 मीटर तक गहरे गड्ढे बन दिये गए हैं. जो बरसात में बड़ी त्रासदी का कारण बन सकते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन चैन की नींद सो रहा है. यह बताना भी जरूरी है कि कोटद्वार क्षेत्र में चुगान और खनन के लिए सभी नदियां पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. बावजूद उसके इन नदियों में धड़ल्ले से अवैध खनन चल रहा है.

नदियों में धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन.

कोटद्वार नगर क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन ने 2 दर्जन से भी अधिक आरबीएम स्टॉक करने की परमिशन दी हुई है जबकि, कोटद्वार नगर क्षेत्र में सभी नदियां चुगान और खनन के लिए पूर्णरूप से प्रतिबंधित हैं. उसके बाद भी प्रशासन की मिलीभगत से इन आरबीएम के स्टॉकों से रोजाना दर्जनों डम्पर आरबीएम भरकर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में जा रहे हैं.

सवाल यह है कि आखिर जब नदियां चुगान और खनन के लिए पूर्ण रूप से बंद है तो इन आरबीएम के स्टॉकों में आरबीएम कहां से आ रहा है. वहीं, स्थानीय प्रशासन इन आरबीएम स्टॉकों की जांच करने की जहमत तक नहीं उठाई. प्रशासन की लापरवाही के कारण आरबीएम स्टॉक के अनुज्ञापी नदियों का सीना चीरकर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में अपना कारोबार कर रहे हैं.

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वहीं, इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता प्रदीप भट्ट ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं सरकार और प्रशासन से पूछना चाहता हूं कि नदियों को खोखला कौन कर रहा है? यह खनन प्रशासन के नाक के नीचे हो रहा है. उससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासन को सब पता है कि कोटद्वार में अवैध खनन चल रहा है.

इस मामले में उप जिलाधिकारी योगेश मेहरा का कहना है कि एक अवैध खनन का भंडारण पकड़ा गया है. लगातार प्रशासन की ओर से इस पर ध्यान दिया जा रहा है. अगर कोई व्यक्तिगत रूप से किसी निजी भूमि पर कोई भंडारण कर रहा है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. जहां तक मालन और सुखरौ नदी की बात है वहां वन भूमि में खनन किया जा रहा है. इसके लिए वन विभाग को निर्देशित कर दिया गया है कि वह अवैध खनन को रोके. क्योंकि मुख्य रूप से इनके खिलाफ कार्रवाई करना वन विभाग का दायित्व है.

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