कल मूल स्थान पर शिफ्ट होगी धारी देवी की मूर्ति श्रीनगर: कल यानी 28 जनवरी को धारी देवी की मूर्ति को अस्थाई मंदिर से शिफ्ट करते हुए नए मंदिर में विराजमान किया जाएगा. इसके लिए मंदिर प्रबंधन से लेकर पुलिस प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. मंदिर जाने के लिए सभी श्रद्धालुओं को अपने वाहनों को कल्यासौड़ में ही पार्क करना होगा. इसके बाद कल्यासौड़ स्थित गेट से ही पैदल मंदिर तक जाना होगा. मंदिर तक जाने वाला कच्चा सड़क मार्ग पूरी तरह से बंद रहेगा. श्रद्धालु 10 बजे के बाद धारी देवी के दर्शन कर पाएंगे.
मंदिर शिफ्टिंग के लिए कड़ी सुरक्षा: इसके साथ ही धारी देवी मंदिर में भीड़ ना हो, सभी कार्य शांतिपूर्वक संपन्न हों, इसके लिए श्रीनगर पुलिस के साथ साथ देवप्रयाग, महिला थाना, पीएसी के जवान भारी संख्या में मंदिर में व्यवस्था बनाने के लिए तैनात रहेंगे. श्रीनगर कोतवाल हरिओम सिंह चौहान ने बताया 50 से अधिक जवान, एसआई सहित तमाम पुलिस अधिकारी मंदिर में मौजूद रहेंगे. किसी प्रकार की अव्यवस्था मन्दिर प्रांगण में नहीं होने दी जाएगी.
धारी देवी का आमंत्रण पत्र पढे़ं- Dhari Devi: मूर्ति हटाते आई थी केदारनाथ आपदा, नौ साल बाद अपने मंदिर में विराजेंगी मां धारी देवी धारी देवी में शुरू हुआ शतचंडी यज्ञ: पुजारी न्यास के सचिव जगदंबा प्रसाद पांडेय और मंदिर के मुख्य पुजारी लक्ष्मी प्रसाद पांडेय ने बताया कि मूर्ति शिफ्ट करने से पहले विधि विधान से मंदिर में शतचंडी यज्ञ शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया 28 जनवरी को सुबह 9ः30 बजे मां धारी देवी की मूर्ति के साथ अन्य देव मूर्तियों को उनके मूल स्थान पर स्थापित किया जायेगा.
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अपलिफ्ट किया गया था धारी देवी मंदिर: बता दें श्रीनगर जल विद्युत परियोजना निर्माण के बाद यह मंदिर डूब क्षेत्र में आ गया था. जिसके बाद जीवीके कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण किया गया. इसके बाद साल 16 जून 2013 की केदारनाथ आपदा के कारण अलकनंदा का जल स्तर बढ़ने पर मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया. लगभग चार साल पूर्व कंपनी की ओर से इसी के समीप नदी तल से करीब 30 मीटर ऊपर पिलर पर पर्वतीय शैली में आकर्षक मंदिर का निर्माण कराया गया, लेकिन कंपनी और आदिशक्ति मां धारी पुजारी न्यास में सहमति न बन पाने की वजह से बार-बार प्रतिमाओं की शिफ्टिंग की तिथि आगे खिसकती रही. अब आखिर में पुजारी न्यास ने नौ साल बाद मां धारी देवी की मूर्ति को अपने मूल स्थान पर स्थापित किए जाने का निर्णय लिया.