कोटद्वारः इन दिनों गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है. गर्मी से आदमी ही नहीं पशु-पक्षी भी परेशान हैं. इन दिनों पड़ रही जबरदस्त गर्मी कोटद्वार के लोगों के साथ ही पशु-पक्षी और जानवरों पर भारी पड़ रहा है. कोटद्वार के अलग-अलग जगहों पर कई दशकों से चाल-खाल बने हुए थे, जिसमें बरसात का पानी और गर्मी के समय नहरों से पानी एकत्रित किया जाता था. जंगल से सटे इन चाल-खालों का पानी जंगली जीव जंतुओं से लेकर स्थानीय निवासियों के मवेशी पीने के लिए उपयोग करते थे. लेकिन बदलती इंसानी फितरत के कारण आज स्थिति यह है कि ये पूरी तरह से सूख गए हैं.
सूख गए हरे-भरे चाल-खाल, भटक रहे पानी के लिए बता दें कि लगभग 10 दशक तक इन चाल-खालों में 12 महीने पानी भरा रहता था, लेकिन सरकारी मशीनरी कि बेरुखी के कारण आज ये पूरी तरह से अपना अस्तित्व खो चुके हैं.
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वहीं, इसको लेकर वन गुर्जर अकबर अली का कहना है कि तीन दशक पूर्व ये चाल-खाल हमेशा पानी से भरा रहता था. उस दौरान जंगली जानवरों से लेकर स्थानीय मवेशी इस पर निर्भर रहते थे. विगत वर्षों में ग्राम प्रधानों के द्वारा इस साल चाल-खाल की चारदीवारी के लिए खुदवाया गया और इसकी मिट्टी को बाहर फिंकवाया दिया गया. जिससे चाल-खाल के नीचे पत्थर ही पत्थर रह गए और आज स्थिति यह है कि इसमें पानी नहीं रुकता. उन्होंने कहा कि मवेशियों के पानी के लिए बड़ी समस्या रहती है. अब उनके लिए टैंकरों से पानी लाया जाता है.
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कुछ स्थानीय निवासियों ने प्रशासन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पहले यह चाल-खाल 12 महीने पानी से भरे रहते थे. अब स्थिति यह है कि जंगली जीव जंतु भटक कर इस चाल-खाल पर पानी के लिए पहुंचते हैं, लेकिन यहां पानी न मिलने से वह निराश होकर वापस लौटते हैं. उन्होंने कहा कि गांव के पार्षद हो या प्रधान उन्हें इस ओर ध्यान देना चाहिए.