श्रीनगर:प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) की दिशा में तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. जिससे ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से बचा जा सके. ठीक इसके इतर पौड़ी के कंडोलिया पार्क (Pauri Kandoliya Park) सहित अन्य स्थानों पर देवदार के पेड़ों पर जगह जगह बड़ी-बड़ी कील ठोककर इन पर होर्डिंग लगा दी जा रही हैं. ये होर्डिंग अब देवदार के पेड़ों के लिए सबसे बड़ा संकट बन रहे हैं. देवदार के पेड़ों पर लगी कीलें कुछ समय बाद जंक खा रही हैं. इससे इन पेड़ों का अस्तित्व (Threat to the existence of deodar tree) समाप्त होता जा रहा है.
देवदार प्रदेश का पवित्र व पूजनीय पेड़ है. इसका नाम दो शब्दों देव (देवता) व दारु (वृक्ष) से मिलकर बना है. जिसे देवताओं का पेड़ भी कहा जाता है, लेकिन बदलते परिवेश में इन पेड़ों पर मानवीय हस्तक्षेप से खतरा मंडराने लगा है. पौड़ी की अधिकतर वन पंचायतों में यही हाल है. यहां पर्यावरण की परवाह न करते हुए देवदार के पेड़ों को विज्ञापन समेत सूचना के प्रचार–प्रसार का जरिया बनाया जा रहा है. पर्यावरणविद देवदार के पेड़ों का अस्तित्व इस तरह से समाप्त होने से चिंता में हैं. गढ़वाल केन्द्रीय विवि के उच्च पादपीय शोध संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर विजयकांत पुरोहित ने इस पर अपनी चिंता जताते हुए कहा कि पेड़ों पर कील ठोकने का कारण पेड़ सूख जाते हैं.
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