श्रीनगर:एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर का भूविज्ञान विभाग भी जोशीमठ जल प्रलय के कारणों के अध्ययन में जुट गया है. विभाग की एक टीम मौके के लिए रवाना हो गई है, जबकि विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. एचसी नैनवाल की अगुवाई में एक टीम कुछ दिन बाद जाएगी.
प्रो. नैनवाल और उनकी टीम पिछले 15 साल से अलकनंदा नदी के उद्गम स्थल सतोपंथ में ग्लेशियरों की स्थिति पर अध्ययन कर रही है. इसके अलावा लगभग 5 साल से वह चमोली जिले की कोसा घाटी में राजबांक ग्लेशियर के डाटा भी जुटा रहे हैं. यह क्षेत्र ऋषि गंगा के आपदा प्रभावित क्षेत्र के समीप है.
प्रो. नैनवाल ने बताया कि सेटेलाइट से मिली इमेज के आधार पर किसी घटना के कारणों के बारे में सटीक जानकारी नहीं मिल सकती है. इसके लिए स्थलीय निरीक्षण करना जरूरी है. इसलिए टीम मौके पर जाकर जानकारी जुटाएगी. उन्होंने बताया कि इसरो की ओर से जारी इमेज के आधार पर फिलहाल यह माना जा सकता है कि इस क्षेत्र में रॉक ग्लेशियर हैं यानी कि खड़े पहाड़ों पर बर्फ गिरने पर जमती है.
2 से 5 फरवरी के बीच क्षेत्र में जमकर बर्फबारी हुई. बर्फ के बोझ से रॉक ग्लेशियर टूटकर नीचे गिरे होंगे. यहां ग्लेशियर पीछे खिसकने की वजह से मलबा भी काफी है. इसकी वजह से कुछ घंटों के लिए यहां बांध जैसी संरचना बन गई होगी. ग्लेशियर पिघलने पर पानी तेजी से नीचे की ओर मलबे के साथ आया. यहां सीधा ढलान है, जिससे इसकी तीव्रता ज्यादा है. इसलिए यह फ्लैश फ्लड (त्वरित बाढ़) की तरह रैणी की ओर आया और परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाया.
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