श्रीनगरः नगर पालिका श्रीनगर को नगर निगम बनाने की घोषणा के बाद से ही सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया था. श्रीनगर नगर निगम बनाने के लिए नगर पालिका परिषद के पूरे क्षेत्र के अलावा 21 गांवों को भी इसमें जोड़ा गया है, लेकिन नगर निगम में शामिल किए जा रहे 7 ग्राम सभाओं के ग्रामीण भी नगर निगम में शामिल न होने की मांग पर अड़ गए हैं. इतना ही नहीं 7 गांवों के प्रधानों ने जिला प्रशासन को अपना आपत्ति पत्र भी सौंप दिया है.
ग्राम प्रधानों का कहना है कि नगर निगम में शामिल होने से उन्हें सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों में मिलने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा. साथ ही जिन गांवों को नगर निगम में शामिल किया गया है, वे सभी कृषि पर निर्भर गांव हैं. नगर निगम में शामिल होने के बाद ग्रामीणों से उनकी कृषि भूमि भी छिन जाएगी.
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वहीं, नगर पालिका अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी का कहना है कि सरकार की ओर से नगर निगम को लेकर ग्रामीणों से जो आपत्ति मांगी गई हैं, उसके लिए 6 दिन का समय दिया गया है. इस बीच त्योहार भी है. ऐसे में शासन की ओर से ग्रामीणों से मांगी जाने वाली आपत्ति की समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए.
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पालिकाध्यक्ष पूनम तिवाड़ी ने 15 दिन का अतिरिक्त समय देने की मांग शासन से की है. साथ ही उन्होंने कहा कि नगर निगम के फैसले को लेकर सभी ग्रामीण हाईकोर्ट में सरकार को चुनौती देंगे, लेकिन जनता के हित की अनदेखी पर नगर निगम नहीं बनने दिया जाएगा.
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बता दें कि श्रीनगर नगर निगम बनाने के लिए न केवल श्रीनगर नगर पालिका परिषद का पूरा क्षेत्र इसमें लिया गया है बल्कि, 21 गांव भी इसमें जोड़े गए हैं. इन गांव में नकोट, दिगोली, धनचड़ा, चंद्रवाड़ी, पुंडोरी, वैध गांव, रतड़ा, स्वीत, चोपड़ा लगा स्वीत, कोटेश्वर गुठ, फरासू, सेम, गहड़, बागवान लगा चोपड़ा, चोपड़ा, ढांमक, पथलगा, डुगरी पथ, डुगरीपथ, कलिया सौड़, हैडी, घोणलगा, उफल्डा शामिल हैं.
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इस नगर निगम में साल 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 37,911 जनसंख्या है, तो क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो 1257.05 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इस नगर निगम में होगा. इन गांवों के शामिल होने के बाद नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या बढ़कर 37,911 हो रही है. ऐसे में श्रीनगर पर्वतीय क्षेत्र होने के नाते जनसंख्या के हिसाब से नगर निगम घोषित किए जाने के मानदंड में 37 हजार से अधिक और 50 हजार से कम श्रेणी वाले में आ गए हैं.