पौड़ीःउत्तराखंड में पलायन और बदहाल शिक्षा व्यवस्था के चलते खाली हो चुके स्कूल अब फिर से आबाद होने जा रहे हैं. जी हां, पौड़ी जिले से शिक्षा विभाग के लिए खुशखबरी आई है. यहां एक और प्राथमिक विद्यालय के खुलने की उम्मीद जग गई है. बीते दो साल पहले छात्र संख्या शून्य होने के चलते एकेश्वर ब्लॉक का राजकीय प्राथमिक विद्यालय मांसौं-मसेटा बंद कर दिया गया था, लेकिन अब अभिभावकों ने अपने बच्चों को इस स्कूल में दाखिला दिलाने की बात कही है.
बता दें कि पौड़ी जिले में छात्र संख्या शून्य होने की वजह से बंद पड़े सरकारी स्कूलों के फिर से संचालन किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है. जिले में अभी तक 3 प्राथमिक विद्यालयों का संचालन शुरू हो गया है. अब राजकीय प्राथमिक विद्यालय मांसौं-मसेटा के फिर से संचालन की उम्मीद जग गई है. अभिभावकों ने भी इस स्कूल में अपने नौनिहालों का एडमिशन कराने की इच्छा जताई है, जो एक अच्छी पहल है.
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मुख्य शिक्षाधिकारी एवं प्रभारी जिला शिक्षाधिकारी बेसिक डॉ. आनंद भारद्वाज ने बताया कि एकेश्वर ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय मांसौं-मसेटा दो साल पहले छात्र विहीन हो गया था. जिस वजह से स्कूल को बंद करना पड़ा. उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पहले ग्राम पंचायत मांसौं के ग्राम प्रधान नवीन कुमार एवं क्षेत्र के 15 से ज्यादा अभिभावकों ने इस स्कूल में अपने बच्चों का प्रवेश किए जाने का प्रस्ताव दिया था.
जिस पर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा की अनुमति के बाद इस विद्यालय का फिर से संचालन शुरू किया जा रहा है. सीईओ ने स्कूल के पुनः संचालन के निर्देश जारी करते हुए एक शिक्षक की तैनाती का आदेश जारी किए हैं. उन्होंने बताया कि एकेश्वर के उप शिक्षाधिकारी को विद्यालय में एक शिक्षक की तैनाती कर छात्र-छात्राओं की प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर प्रवेशोत्सव मनाया जाने के निर्देश दिए हैं.
स्कूल को नोटिस: वहीं, मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ आनंद भारद्वाज ने मानकों के अनुपालन का उल्लंघन पाये जाने पर तिरपालीसैंण के एक प्राइवेट स्कूल को नोटिस जारी किया है. सीईओ ने प्रबंधक व प्रधानाचार्य को आगामी 5 मई को नोटिस का जवाब देने के आदेश जारी किये हैं. डॉ भारद्वाज ने बताया कि औचक निरीक्षण के दौरान तिपालीसैंण के एक प्राइवेट स्कूल में कई मानकों का उल्लंघन देखने को मिला. यह स्कूल वर्ष 2017 से नर्सरी से कक्षा 8 तक के संचालित हो रहा था. स्कूल में कोई भी शिक्षक टीईटी पास नहीं था. इसके साथ ही स्कूल में दिव्यांग बच्चों के लिए रैंप नहीं थे.