पौड़ीःजिले के स्कूलों में गढ़वाली भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा चुका है. प्राथमिक स्तर पर गढ़वाली लोक भाषा को पाठ्यक्रम की मदद से नौनिहालों को पढ़ाया और सिखाया जा रहा है. जिसमें शिक्षक भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. जबकि, छात्र भी लोक भाषा में पढ़ने में काफी रुचि ले रहें हैं. पौड़ी में गढ़वाली भाषा की पाठ्यक्रम शुरू की जा चुकी है. वहीं, अब कुमाऊंनी भाषा में भी पाठ्यक्रम शुरू करने की कवायद की जा रही है. मामले पर साहित्यकारों का कहना है कि इससे लोक बोली-भाषाओं के संरक्षण में मदद मिलेगी.
उत्तराखंड सरकार गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा पर विशेष जोर दे रही है. गढ़वाली भाषा में पाठ्यक्रम शुरू किए जाने की पहल को सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है. गढ़वाली साहित्यकार लेखक और संपादक गणेश कुकशाल का गढ़वाली पाठ्यक्रम को लिखने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. वे बीते 33 सालों से गढ़वाली लोक बोली-भाषा पर काम कर रहे हैं.
ये भी पढे़ंःइस सरकारी स्कूल की शिक्षकों और बच्चों ने बदल दी तस्वीर, दूसरे स्कूलों के लिए बना नजीर
उनका कहना है कि वे एक पत्रिका के लिए संपादक के रूप में काम भी कर रहे हैं और उनका प्रयास रहता है कि सभी सार्वजनिक मंचों, शिक्षण कार्यक्रमों में लोक बोली-भाषाओं को बोलें, जिससे हमारी लोक बोली-भाषाओं से जुड़े लोगों को कार्यक्रम पंसद आए. यह अपनी लोक बोली-भाषा को बचाने के लिए एक सरल माध्यम भी है.