श्रीनगर: प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले प्रतिदिन बढ़ रहे हैं. सोमवार को संक्रमित लोगों का आंकड़ा 2160 पहुंच गया है. कोरोना संकट के बीच गढ़वाल विवि के सामने छात्रों की परीक्षाएं करवाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. इन दिनों गढ़वाल क्षेत्र के 100 से भी अधिक केंद्रों में गढ़वाल विवि की परीक्षाएं आयोजित हो रही हैं.
गढ़वाल विवि की परीक्षाएं रद्द करने की मांग. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए विवि ने प्रशासन से सहयोगी की अपील की है. विवि ने पत्र जारी करते हुए जनपद पौड़ी जनपद, टिहरी, उत्तरकाशी, हरिद्वार, देहरादून के जिलाधिकारियों से परीक्षाओं के संचालन के लिए सहयोग मांगा है. पत्र में स्पष्ट नहीं है कि आखिर विवि इन जिलाधिकारियों से किस तरह के सहयोग की मांग कर रहा है. पत्र में लिखा गया है कि परीक्षाओं के सफल संचालन में सहयोग प्रदान करने की कृपा करें.
गढ़वाल विवि के सामने मुश्किल इस बात की भी आ रही है कि हाल के दिनों में विवि के छात्र कोरोना पॉजिटिव भी आ चुके हैं. जिस तरह से प्रदेश में हालिया दिनों में कोविड के मामले में इज़ाफा हुआ है इस कारण भी विवि के परीक्षा नियंत्रक को प्रशासन से परीक्षाओं को सफल बनाने के लिए मदद मांगनी पड़ी.
गढ़वाल विवि ने प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
गढ़वाल विवि के पूर्व प्रतिनिधि अंकित उछोली ने बताया कि छात्रों के लिए ये कठिन समय है. छात्र कोरोना संक्रमण के इस दौर में परीक्षाएं दे रहे हैं. विवि को छात्रों को संक्रमण से बचाते हुए परीक्षाएं या तो स्थगित करनी चाहिए या फिर छात्रों को पहले की तरह प्रमोट करना चाहिए. इसका एक विकल्प ऑनलाइन परीक्षाओं का आयोजन भी हो सकता है. विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ. अरुण रावत ने कहा कि ना तो राज्य, ना केंद्र और ना जिलास्तर से ही परीक्षाओं को स्थगित करने के कोई भी आदेश प्राप्त हुआ है. उन्होंने कहा वीकेंड लॉकडाउन के दौरान छात्रों को एडमिट कार्ड के आधार पर परीक्षा केंद्रों तक जाने दिया जाये.
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कोरोना से हालात बेकाबू
इन दिनों श्रीनगर, देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी सहित 100 से अधिक ऐसे केंद्र हैं जहां गढ़वाल विवि से संबद्ध विभिन्न महाविद्यालयों सहित सरकारी और गैर सरकारी विवि से संबद्ध कॉलेजों में परीक्षाएं आयोजित हो रही हैं.. इनमें से देहरादून और हरिद्वार में कोरोना संक्रमण के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. हालत ये हैं कि देहरादून में तो कोरोना मरीजों के लिए बेड ही नहीं मिल पा रहे हैं. गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में भी हालत कुछ इस तरह ही हैं.