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केजरीवाल-हरक के ऑफर पर त्रिवेंद्र का तंज- पहाड़ी नहीं लेते फ्री की चीज, सबसे सस्ती बिजली दे रहे - श्रीनगर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

2022 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे बड़ा सियासी मुद्दा फ्री बिजली का होने वाला है. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड की बिजली की कड़वी हकीकत सामने रखी है. त्रिवेंद्र ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली में भी फ्री बिजली का छलावा कर रहे हैं. वहां फ्री के नाम पर आंकड़ों की बाजीगरी हो रही है.

Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र

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Published : Jul 21, 2021, 12:27 PM IST

Updated : Jul 21, 2021, 7:06 PM IST

श्रीनगर:उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार सबसे बड़ा सियासी मुद्दा फ्री बिजली (free electricity) का होने वाला है. फ्री बिजली के मुद्दे को लेकर भाजपा से लेकर आप और कांग्रेस के नेताओं की ओर से लगातार बयानबाजी की जा रही है. कोई नेता 100 यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा कर रहा है तो कोई 300 यूनिट फ्री बिजली देने की घोषणा कर रहा है.

श्रीनगर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने कहा कि राज्य अभी 1 हजार करोड़ रुपये की बिजली खरीद रहा है. अगर राज्य को फ्री कॉस्ट पर धकेला गया तो राज्य की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाएगी. जिससे राज्य में निवास करने वाले लोगों को ही नुकसान झेलना पड़ेगा.

1 हजार करोड़ की बिजली खरीद रहा उत्तराखंड.

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का इतिहास बताता है कि 1904 में आई आपदा के दौरान जब अंग्रेजों ने श्रीनगर वासियों को फ्री में अनाज देने की बात कही तो लोगों ने लेने से ही इनकार कर दिया था. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली में कुछ चुनिदा लोगों को ही 100 यूनिट के ऊपर ही फ्री बिजली दी जा रही है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड फ्री पर कार्य नहीं करता. यहां लोग स्वावलंबी हैं, कार्य करना जानते हैं.

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श्रीनगर में रक्तदान शिविर में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड (Devasthanam Board) पर भी एक बार फिर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड से राज्य का विकास होगा. उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहित बोर्ड की खामियां बताएं. इस बोर्ड में किसी भी प्रकार की खामियां नहीं हैं. आज तक सभी के हक हकूक बरकरार हैं. बोर्ड बनने के बाद चारोंधामों का विकास होगा. इस बोर्ड से किसी का अहित नहीं है. सरकार ने सोच-समझ कर बोर्ड का गठन किया है.

Last Updated : Jul 21, 2021, 7:06 PM IST

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