श्रीनगरःकीर्तिनगर के मंगसू गांव में घायल गुलदार का वन विभाग की टीम ने आखिरकार रेस्क्यू कर लिया है. गुलदार के रेस्क्यू के दौरान टीम को काफी पसीना पड़ा. इतना ही नहीं वन विभाग को टास्क फोर्स की मदद लेनी पड़ी. फिलहाल, गुलदार का इलाज किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि गुलदार आपसी संघर्ष में घायल हुआ है. आशंका जताई जा रही है कि सुअर के हमले में गुलदार को चोट पहुंची है.
दरअसल, पूरा मामला कीर्तिनगर के मंगसू गांव का है. जहां ग्रामीणों को गुलदार के गुर्राने की आवाज सुनाई थी. जिसके बाद दहशत में आकर ग्रामीणों ने इसकी सूचना आनन-फानन में वन विभाग को सूचना दी. सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू अभियान शुरू किया, लेकिन सफल नहीं हो पाए. जिसके बाद वन विभाग की टास्क फोर्स को बुलाया गया.
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वहीं, गुलदार झाड़ियों में छुपा और हमला करने में पूरी तरह सक्षम था. ऐसे में गुलदार का रेस्क्यू अभियान शुक्रवार दोपहर दो बजे से शनिवार यानी आज सुबह 9 बजे तक चला. जहां बमुश्किल ट्रेंकुलाइज कर बेहोश किया गया. फिलहाल, डॉक्टर गुलदार का उपचार कर रहे हैं.
वन विभाग की मानें तो गुलदार आपसी संघर्ष के कारण घायल हुआ है. गुलदार के घावों को देख कर लग रहा है कि सुअर ने उस पर हमला किया है. जिससे गुलदार घायल हो गया और मानव बस्ती की तरफ पहुंच गया. गुलदार की उम्र करीब 6 से 7 वर्ष बताई जा रही है. गुलदार वयस्क नर है.
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कीर्तिनगर उप जिलाधिकारी सोनिया पंत ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग को टास्क फोर्स के साथ मौके पर भेज दिया गया था. फोर्स की कड़ी मेहनत के बाद घायल गुलदार का रेस्क्यू कर लिया गया है. इसमें ग्रामीणों की भी मदद लेनी पड़ी. गुलदार का इलाज जारी है. इलाज के बाद उसे चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर भेज दिया जाएगा.
कैसे करता है सुअर हमला?बता दें कि नर सुअर के दो नुकीले दांत बाहर की ओर निकले होते हैं. जो उसका हथियार साबित होता है. अकसर संघर्ष के दौरान उसे अपने बचाव में इस्तेमाल करता है. यानी अपने दांतों से दूसरे जानवरों पर हमला कर देता है. जबकि, सुअर की खाल भी काफी मोटी होती है, ऐसे में जब गुलदार या अन्य शिकारी सुअर पर हमला करता है तो उनके दांत आसानी ने घुस नहीं पाते हैं. तब तक सुअर को हमला करने का मौका मिल जाता है.
सुअरों के कुकुरदंत उनकी आत्मरक्षा के हथियार माने जाते हैं. ये इतने मजबूत और तेज होते हैं कि उनसे ये घोड़ों तक का पेट फाड़ डालते हैं. ऊपर के कुकुरदंत तो बाहर निकलकर ऊपर की ओर घूमे रहते हैं, लेकिन नीचे के बड़े और सीधे रहते हैं. जब ये अपने जबड़ों को बंद करते हैं, तो ये दोनों आपस में रगड़कर तेज और नुकीले बने रहते हैं.