श्रीनगर: चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव श्रीनगर के मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी का टोटा है. ऐसा तब है जब ये भारत-चीन बॉर्डर और चारधाम यात्रा का मुख्य मददगार मेडिकल कॉलेज है. साथ ही गढ़वाल क्षेत्र के पहाड़ी जिलों के लिए ये लाइफलाइन के तौर पर जाना जाता है. यहां हालत इतने खराब हैं कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के चलते रोजाना मरीजों के रेफर करना पड़ता है. जिसका खामियाजा तिमारदारों को भुगतना पड़ता है.
बता दें मेडिकल कॉलेज में पिछले कई सालों से स्थाई न्यूरो सर्जन, कडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं हो पाई है. इसके अलावा भी विभिन्न विभागों में डॉक्टरों की कमी है. कॉलेज में 34 प्रोफेसरों के पद स्वीकृत हैं. जिसमें 18 पद भरे गए हैं, जबकि 16 पद खाली हैं. इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसरों में 56 पद स्वीकृत हैं, जिसमे 18 पद भरे गए, जबकि 38 पद खाली है. यही हालत असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदों का भी है. यहां 101 पदों में से 25 पद भरे गए हैं, जबकि 76 पद अभी भी खाली हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि किस हद तक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में विशेषज्ञों का टोटा है.