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विकास कार्यों पर ब्रेक लगने से ठगा सा महसूस कर रही जनता, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने इन्हें बताया जिम्मेदार - कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र समाचार

कोटद्वार में विकास कार्यों के नाम पर एक पत्थर तक नहीं लगा. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने इसके लिए पूर्ण रूप से कोटद्वार के जनप्रतिनिधि को दोषी ठहराया.

कोटद्वार में इन दिनों विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं.

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Published : Sep 20, 2019, 2:42 PM IST

कोटद्वार: विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में इन दिनों विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं. दो सालों से क्षेत्र को आपदा से काफी नुकसान पहुंचा हैं वहीं जनप्रतिनिधियों द्वारा इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. जिससे स्थानीय जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है. साथ ही विकास कार्य बाधित होने से लोगों में रोष गहराता जा रहा है. वहीं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने इसके लिए मौजूदा जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार बताया है.

कोटद्वार में इन दिनों विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं.


बता दें कि कोटद्वार में विकास कार्यों के नाम पर एक पत्थर तक नहीं लगा. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने इसके लिए पूर्ण रूप से कोटद्वार के जनप्रतिनिधि को दोषी ठहराया. बाढ़ सुरक्षा कार्य , मेडिकल कालेज का निर्माण, लालढांग चिलरखाल मोटरमार्ग का निर्माण, कोटद्वार विधान सभा में कई सड़कों का बुरा हाल है. जिनको दुरुस्त करने की दिशा में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. कार्यों को गति न मिलने से स्थानीय जनता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है.

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वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि विकास कार्यों के ना होने पर सीधे-सीधे क्षेत्र के जनप्रतिनिधि दोषी होते हैं. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि अगर जागरूक हो तो स्वाभाविक रूप से तमाम चीजें सुचारू रूप से होती है. विकास कार्यो को गति मिलती है, तमाम समस्याओं का निस्तारण होता है. जबकि पूरा क्षेत्र दो सालों से आपदा से त्रस्त है और बाढ़ नियंत्रण कार्यों के लिए धन अवमुक्त नहीं किया गया है. जिससे विकास कार्य जस के तस पड़े हुए हैं.

काशीरामपुर तल्ला के ग्रामीणों जय कुड़ी और बसंती देवी का कहना है कि सरकार झूठे वादे करके चली जाती और जनता के लिए कुछ नहीं करती. उन्होंने ने कहा कि आज तक उनके पास रहने के लिए मकान नहीं है. जिसकी गुहार वे पीएम मोदी से भी लगा चुकी हैं.

उनका कहना है कि सरकार गरीब तबकों को आवास देने की बात करती है. लेकिन उनके पास रहने के लिए आवास तक नहीं है. जिससे वे छप्पर में दिन गुजारने को मजबूर हैं. उन्होंने आगे कहा कि वे अपनी समस्या से शासन-प्रशासन के अधिकारियों को भी अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. वहीं उन्हें सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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