कोटद्वारः आपदा को लेकर प्रशासन कितना गंभीर है, इसका अंदाजा पनियाली गदेरे के किनारे हुए अतिक्रमण से लगाया जा सकता है. यहां कई बार अतिक्रमण के चलते बाढ़ की स्थति आ चुकी है. जिससे काफी जान-माल का नुकसान हो चुका है. हालांकि, प्रशासन ने बीते साल 2019 में आए आपदा के बाद में 143 से ज्यादा जगहों को चिह्नित किया था, लेकिन अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है. जबकि, सूबे में मॉनसून अपनी रफ्तार पकड़ चुका है. लिहाजा, लोगों को अब आपदा का डर सताने लगा है.
दरअसल, पनियाली गदेरा कोटद्वार नगर क्षेत्र के आम पड़ाव, शिवपुर, मानपुर, सीताबपुर, सूर्या नगर, काशीरामपुर से होते हुए सुखरौ नदी में पहुंचता है. पनियाली गदेरा करीब चार किलोमीटर का लंबा सफर कर नगर क्षेत्र के बीच से बहता है. पहले इस गदेरे की चौड़ाई 70 से 80 फीट थी, लेकिन वर्तमान में अतिक्रमण से सिमटकर 10 से 12 फीट तक रह गया है.
अब स्थिति ये हो गई है कि अतिक्रमण के कारण बरसात के समय बाढ़ के पानी को निकालने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है, जिस कारण बाढ़ का पानी नगर क्षेत्र में घुसकर तबाही मचाता है. वहीं, लगातार तीन सालों में आ रही लगातार बाढ़ के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन प्रशासन फिर भी नींद से नहीं जाग रहा है.
एक नजर पनियाली गधेरे के तांडव पर
पनियाली गदेरे के चलते साल 1989-90 में दो लोगों की मौत हो गई थी. साथ ही भारी नुकसान भी हुआ था. जबकि, साल 1993-94 में नगर के निचले क्षेत्रों में घरों में पानी घुस गया था. तब लोगों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ था. हालांकि, उस दौरान किसी तरह की जनहानि नहीं हुई थी. वहीं, साल 2012 में सूर्य नगर में भारी नुकसान हुआ था. लोगों के घरों में भारी मात्रा में पानी-मिट्टी घुस गई थी, तब पूरे नगर में लोगों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ था.