कोटद्वार: लैंसडाउन वन प्रभाग में लंबे समय से प्रतिबंधित बस्किलों ( बांस के कोपले ) की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. जिसका असर यहां के हाथियों पर पड़ रहा है. हाथी का सबसे प्रिय भोजन बांस ही होता है. जंगल के आसपास रहने वाले लोग बांस की कोपलों (बस्किल) को तोड़कर सब्जी के लिए बाजार में 80 से 100 रुपये किलो तक बेच रहे हैं.
बता दें कि बांस के कोपलों से ही विशालकाय बांस के जंगल बनते हैं. साथ ही इन कोपलों से निकलने वाले पत्ते और डंडे हाथियों के मुख्य चारे में से एक हैं. ऐसे में अगर इन कोपलों को शुरू में ही तोड़ दिया जाएगा, तो बांस के जंगलों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगेगा.
जानकारी देते रेंजर, ब्रिज बिहारी शर्मा. वहीं इस मामले में लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में तैनात रेंजर ब्रिज बिहारी शर्मा ने बताया कि लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में बांस के घने जंगल हैं. जिन पर लगातार नजर रखी जाती है. हालांकि बस्किलों की बिक्री की शिकायतें कई बार आई हैं.
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उन्होंने कहा कि कहीं पर भी कोई व्यक्ति इन्हें तोड़ते या बेचते हुए पकड़ा नहीं गया है. जिसके चलते आसपास के बाजारों में भी नजर बनाए रखी जा रही है. यदि बस्किलों की बिक्री करते कोई पाया गया तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.