कोटद्वार: दुगड्डा ब्लॉक के मांडई गांव में सिंचाई नहर क्षतिग्रस्त होने से किसानों की 1 लाख शहतूत की पौध सूखने की कगार पर पहुंच गई है. मगर फिर भई सिंचाई विभाग के अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं. ग्रामीण कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों से इस मामले में मदद की गुहार लगा चुके हैं, मगर फिर भी अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी.
बता दें कि दुगड्डा ब्लॉक के मांडई गांव में लॉकडाउन के तहत प्रवासियों को रोजगार देने के लिए रेशम कीट पालने की सलाह दी गई थी. जिसके लिए उद्यान विभाग ने गांव के किसानों को शहतूत की पौध उगाने की ट्रेनिंग दी थी. जिसके बाद एक किसान ने अपने खेत में 1लाख 6 हजार शहतूत की पौध उगाई. मगर सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण यह शहतूत की पौध सूखने की कगार पर पहुंच गई है.
पढ़ें- RIPPED जींस पर सीएम तीरथ का 'बजा बैंड', सोशल मीडिया पर कर रहे ट्रेंड
किसानों ने बताया कि नदी से लेकर खेतों तक नहर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई है. कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों को इस संबंध के अवगत कराया गया है, मगर विभागीय अधिकारी सुनने तक को तैयार नहीं हैं. पढ़ें- तीरथ मंत्रिमंडल की बैठक खत्म, सुबोध उनियाल बने शासकीय प्रवक्तावहीं, किसान ने बताया कि इस परेशानी के बारे में कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारी को लिखित और मौखिक रूप से अवगत कराया गया, मगर फिर भी अधिकारी इसे टालते रहे. किसान का कहना है कि उसने अपनी जमा पूंजी से एक लाख से भी अधिक शहतूत की पौध उगाई है, लेकिन पानी की उपलब्धता न होने के कारण यह सूखने की कगार पर पहुंच गई है.