कोटद्वार: कण्वाश्रम में हर साल बसंत पंचमी के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता था. इस साल कोरोना की वजह से मेले का आयोजन नहीं किया गया. इस कारण स्थानीय लोग व मेले में आने वाले दुकानदारों के चेहरे मायूस हैं. दुकानदारों का कहना है कि पूरा साल कोरोना काल में बीत गया. कहीं पर भी मेले का आयोजन नहीं हुआ. इस कारण उनके आगे आर्थिक संकट गहराने लगा है.
कण्वाश्रम में नहीं लगा मेला दरअसल हर साल कण्वाश्रम में पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता था. इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, वॉलीबॉल, खो-खो, कबड्डी और रस्साकशी जैसे खेलों का आयोजन भी किया जाता था. मेले की तैयारी 10 से 15 दिन पहले शुरू कर दी जाती थी. इस मेले में हजारों की संख्या में लोग उमड़ते थे. हर साल आयोजन समिति के बुलावे पर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित क्षेत्रीय विधायक और अन्य मंत्री भी मेले में शिरकत करने पहुंचते थे. लेकिन इस साल मेले का आयोजन नहीं किया गया है, जिससे मेला स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ है.
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राजा भरत मंदिर में निवास करने वाले स्वामी रामानंद का कहना है कि हर साल कण्वाश्रम में बसंत पंचमी के अवसर पर मेले का आयोजन होता था. इस साल मेले का आयोजन नहीं होने से लोग और दुकानदार अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं. शायद कोरोना की वजह से ही इस साल मेले का आयोजन नहीं हुआ है. हालांकि गांव और दूरदराज से लोग यहां जरूर आएंगे, लेकिन वह रौनक नहीं दिखेगी जो हर साल दिखाई देती थी. वहीं मेले में पहुंची सुनीता रावत का कहना है कि वो अपने रिश्तेदार के साथ बड़ी उम्मीद से आई थीं, लेकिन यहां पहुंच कर जो माहौल देखा उससे सिर्फ मायूसी ही हाथ लगी.
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वहीं, मेला स्थल पर पहुंची ऋषिकेश की ऊषा गुसाईं का कहना है कि उन्होंने यहां के मेले के बारे में काफी सुना है. इसलिए वो इस साल बसंत पंचमी का मेला देखने के लिए कोटद्वार आई थीं. जब कण्वाश्रम पहुंची तो यहां पर सन्नाटा देख कर मायूस हो गईं. वहीं, मेला स्थल पर पहुंचे दुकानदार सतीश कुमार का कहना है कि वो दुकान लगाने के लिए बिजनौर से कण्वाश्रम पहुंचे हैं. लेकिन यहां का दृश्य देख कर उसका चेहरा मायूस हो गया. मेला समिति के पूर्व अध्यक्ष मंजुल डबराल का कहना है कि कोरोना की वजह से मेले में हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं, जिसके कारण इस साल मेले का आयोजन नहीं किया गया है.