श्रीनगर: मेडिकल कॉलेज ने एक अच्छी पहल की है. कॉलेज के क्षय रोग विभाग ने आठ क्षय रोगियों को गोद लिया है. इस योजना के तहत कॉलेज इन सभी आठ रोगियों के इलाज का सारा ध्यान रखेगा. क्षय रोगियों के लिए सामुदायिक सहायता और सामाजिक समर्थन के लिए इस पूरे प्रोग्राम को निक्षय मित्र कार्यक्रम का नाम दिया गया है.
मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के डॉक्टर बने निक्षय मित्र, आठ क्षय रोगियों को लिया गोद
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के क्षय रोग विभाग ने शानदार पहल की है. विभाग के डॉक्टरों ने आठ क्षय रोगियों को गोद लिया है. ये डॉक्टर इन आठ क्षय रोगियों के इलाज से लेकर उनके खानपान में मदद करेंगे. पीएम मोदी ने 2024 तक भारत को टीबी मुक्त देश बनाने का लक्ष्य रखा है.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत द्वारा खुद दो क्षय रोगियों को गोद लिया गया है. मेडिसिन विभाग के एचओडी डा. केएस बुटोला, कम्युनिटी मेडिसिन से डॉ. जानकी, डॉ. कैलाश गैरोला, डॉ. पुष्पेन्द्र, डॉ. सुमित, डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने एक-एक क्षय रोगियों को गोद लिया है. ये लोग निक्षय मित्र बनकर क्षय रोगियों की काउंसलिंग, फॉलोअप व छह माह के इलाज के समय पोषणयुक्त आहार प्रदान करने में मदद करेंगे.
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कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि निक्षय मित्र योजना एक तरह से टीबी रोग से पीड़ित लोगों को गोद लेने की योजना है. इस योजना के तहत कोई भी सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, राजनीतिक दल, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान टीबी के मरीज को गोद ले सकता है. इस अभियान के तहत व्यवस्था की गई है कि निक्षय मित्र बनने वाला व्यक्ति या संस्था कम से कम एक वर्ष के लिए और अधिक से अधिक तीन साल के लिए किसी गांव, वार्ड, पंचायत, ब्लॉक या जिले के टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण, आजीविका के स्तर पर जरूरी मदद उपलब्ध करा सकते हैं. ताकि देश 2024 तक टीबी मुक्त देश बने और भारत का हर व्यक्ति स्वस्थ्य हो.