कोटद्वार: राजा भरत की जन्म स्थली कण्वाश्रम में 2012 में बारिश के मौसम में कुछ पौराणिक मूर्तियां व पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए थे. यह पुरातात्विक अवशेष 1200 ईसवीं के बताए जा रहे हैं. उसके बाद 2016 में आई भारी बारिश के कारण दोबारा से मूर्तियों के निकलने का सिलसिला शुरू हुआ. तब शासन व जिला प्रशासन पौड़ी ने इन मूर्तियों की देखभाल नहीं की और इन मूर्तियों को लोग अपने-अपने साथ ले गए. कण्वाश्रम विकास समिति ने जब इस संबंध में शासन को अवगत कराया तो उसके बाद शासन हरकत में आया. शासन ने जिला प्रशासन को सभी मूर्तियों को एकत्रित करने के आदेश जारी किए.
बता दें कि कण्वाश्रम क्षेत्र में कई वर्षों से मूर्तियां व पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हो रहे थे. वर्ष 2016 में वन विभाग ने कुछ मुख्य पुरातात्विक अवशेषों को हरिद्वार के एक निजी संस्थान को दे दिया था. कण्वाश्रम विकास समिति द्वारा क्षेत्र की अमूल्य धरोहर को उक्त संस्था को देने का विरोध किया गया था. कण्वाश्रम विकास समिति ने उत्तराखंड शासन को पूरे प्रकरण के संबंध में अवगत कराया था. तथ्यों को संज्ञान में लेकर शासन की ओर से पुरातात्विक अवशेषों को कण्वाश्रम विकास समिति को सौंपने के आदेश जारी किए थे. गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता ने फोन पर सूचित किया कि शानिवार देर शाम उनके द्वारा मूर्तियां समिति को सौंप दी गई हैं.
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