पौड़ी: उत्तराखंड की विलुप्त होती संस्कृति को गढ़ज्योति सांस्कृतिक कला मंच पिछले 13 सालों से संजोने का प्रयास कर रहा है. जिसके तहत हर साल कला मंच विभिन्न सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है. जिसमें पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य, गढ़वाली वाद विवाद और भाषण प्रतियोगिता आदि है. जिससे छात्र-छात्राएं अपनी सांस्कृतिक विरासत और बोली से रूबरू हो सकें.
उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को संजोने के प्रयास में जुटा 'गढ़ज्योति' - संस्कृति
गढ़ज्योति सांस्कृतिक कला मंच का उद्देश्य बच्चों को उत्तराखंड की संस्कृति, पारंपरिक वेशभूषा और बोली से रूबरू करवाना है. साथ ही मंच पहाड़ की सांस्कृतिक विरासत को संजोने का काम भी कर रहा है.
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गढ़ज्योति सांस्कृतिक कला मंच के अध्यक्ष भरत सिंह रावत ने कहा कि मंच के माध्यम से उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा, आभूषण, रहन-सहन और बोली भाषा को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. ताकि आयोजनों की मदद से बच्चे अपनी संस्कृति से रूबरू हो सके. साथ ही प्रतियोगिता में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया जाता है.
वहीं, मंच की सदस्य प्रियंका बिष्ट ने कहा कि वह लंबे समय से इस मंच के साथ जुड़ी है. साथ ही समय-समय पर इस तरह के आयोजन से बच्चों को उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा संस्कृति की जानकारी मिलती है. गढ़वाली वाद विवाद और भाषण प्रतियोगिता की मदद से भी हमारी गढ़वाली बोली भाषा को भी बचाने का प्रयास किया जा रहा है.