पौड़ी: रैपिड जांच पर अभी असमंजस बरकरार है. आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) आज (शुक्रवार) अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है. उसके बाद ही उत्तराखंड के जिलों में मौजूद आईसीएमआर की टीम रैपिड किट से जांच करेगी.
दरअसल, भारत सरकार की ओर से आईसीएमआर की एक टीम को रैपिड टेस्ट के लिए पौड़ी भेजा गया, जो कोरोना के संक्रमण की रैपिड टेस्टिंग करेगी. रैपिड टेस्ट के लिए पौड़ी जिले में 10 क्षेत्रों का चयन किया गया था. एक इलाके में 40 लोगों के सैंपल लिए जाएंगे. पौड़ी जिले में कुल 400 रैपिड किट आई हैं.
आईसीएमआर तकनीकी अधिकारी डॉ प्रणय शर्मा ने बताया कि रैपिड टेस्ट में स्वास्थ विभाग पौड़ी की टीम भी उनके साथ गांव-गांव जाकर उनकी मदद करेगी. ताकि इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके.
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डॉ. शर्मा के मुताबिक शहर में कोविड-19 का कोई भी मरीज नहीं है, लेकिन एहतियातन जिले में रैपिड टेस्ट किए जा रहे हैं. हालांकि अभीतक रैपिड जांच को लेकर असमंजस बरकरार है. आईसीएमआर ने फिलहाल रैपिड जांच पर रोक लगा रखी है.
बता दें कि देशभर में अलग-अलग जगहों पर रैपिड किट से हुई जांच पर सवाल उठने के बाद आईसीएमआर ने इस पर रोक लगा दी थी. हालांकि रैपिड टेस्ट पर रोक लगने से पहले ही आईसीएमआर की एक टीम पौड़ी पहुंच गई थी, जो अब आईसीएमआर के आदेशों का इंतजार कर रही है.
क्या होता है रैपिड टेस्ट
जब आप किसी वायरस या और किसी पैथोजन से संक्रमित होते हैं, तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है. खून में मौजूद एंटीबॉडी से ही पता चलता है कि किसी शख्स में कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट बीमारी की पहचान के लिए नहीं होता. यह टेस्ट सिर्फ ऐसे लोगों की पहचान के लिए है जिनमें लक्षण दिख रहे हों. एंटीबॉडी टेस्ट नेगेटिव आने का यह मतलब नहीं है कि व्यक्ति को बीमारी या संक्रमण नहीं है.
कैसे होती है इसकी जांच
आईसीएमआर के मुताबिक खांसी, जुकाम आदि के लक्षण दिखने पर पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जाता है और उसके बाद उस व्यक्ति के खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं। इसका परिणाम भी आधे घंटे के अंदर आ जाता है.