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कण्व नगरी में विश्व के पहले मुस्लिम योग शिविर का शुभारंभ, सीएम त्रिवेंद्र भी रहे मौजूद

मुस्लिम योग शिविर में कोटद्वार का नाम बदलकर कण्वनगरी रखा जाना चाहिए. ऐसे में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आश्वासन दिया है कि गुरुकुल महाविद्यालय की मांगों पर विचार किया जाएगा.

मुस्लिम योग शिविर

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Published : Nov 20, 2019, 6:52 PM IST

कोटद्वार: राजा भरत की जन्म स्थली वैदिक आश्रम गुरुकुल कण्वाश्रम कोटद्वार में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विश्व के पहले मुस्लिम योग साधन शिविर का शुभारंभ किया. इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने चक्रवती सम्राट वीर भरत स्मारक का उद्घाटन भी किया.

इस पांच दिवसीय प्रथम मुस्लिम योग साधना शिविर में देश-विदेशों के आए करीब 300 हिंदू-मुस्लिम पुरुष और महिलाओं ने हिस्सा लिया. इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के अलावा कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद, काली धाम के ब्रह्मचारी कैलाशानंद समेत कई बड़ी हिस्तियां भी मौजूद रही.

विश्व के पहले मुस्लिम योग शिविर का आगाज.

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योग शिविर में आए एमएस खान का कहना है कि यह शिविर समाज को जोड़ने का काम करेगा. भारत गंगा-जमुनी तहजीब का देश है, जहां हिंदू-मुस्लिम सब मिलकर रहते हैं. उन्होंने कहा कि मुस्लिम योग साधना शिविर का आयोजन एक अच्छी शुरुआत है. उन्हें उम्मीद है कि ये शिविर पूरी तरह सफल होगा.

शिविर में हिस्सा लेने आए मिसाल मेहंदी ने कहा कि योग सभी के लिए जरूरी है. वैसे तो मुसलमान पांचों समय की नमाज अदा करता है, जो योग का ही एक हिस्सा है. योग से काफी बीमारियों दूर होती है. इस शिविर के जरिए कौमी एकता को एक मंच मिला है, जिसका वो स्वागत करते हैं.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि जिन्होंने योग साधना की है ऐसे संत इस मंच पर बैठे हैं. कुछ सालों पहले जिस योग पर हमने विश्वास करना छोड़ दिया था लेकिन आज वो आधुनिक चिकित्सा पद्धति हिस्सा बन गया है. यही कारण है कि आज सब जगह योग शिक्षकों को नियुक्ति हो रही है और उनकी डिमांड बढ़ रही है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुकुल महाविद्यालय ने उन्हें जो दस सूत्री मांग पत्र दिया उसकी पर चर्चा की जाएगी. इसमें में से एक मांग ये है कि कोटद्वार को कण्वनगरी के नाम से जाना जाए, इस पर जल्द ही कैबिनेट बैठक में चर्चा की जाएगी. दूसरी मांग कलालघाटी को नाम को लेकर है, जो अटपटा शब्द है. इसका नाम भी बदलकर कण्वघाटी किया जाए. घाटी का नाम बदलने की शक्ति महानगर पालिका के पास है. शासन से भी इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी.

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