पौड़ी: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) पौड़ी जिले के थलीसैंण ब्लॉक अंतर्गत पीठसैंण में मासौ चोपडाकोट पहुंचे. यहां उन्होंने पेशावर कांड के महानायक (Hero of Peshawar kand) स्वर्गीय वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मूर्ति (Statue of Late Veer Chandra Singh Garhwali) पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया. धामी ने पेशावर कांड के महानायक को याद कर युवाओं को उनके पद चिन्हों पर चलने का आह्वान किया.
वहीं, कार्यक्रम में सीएम धामी ने कहा उत्तराखंडवासियों के लिए समान नागरिक संहिता कानून बेहद जरूरी है. सरकार का एक ही लक्ष्य है कि उत्तराखंड देश का सबसे श्रेष्ठ राज्य बने. उत्तराखंड, चीन और नेपाल दो-दो अंरराष्ट्रीय सीमाओं से सटा हुआ है. लिहाजा प्रदेश में सभी लोगों के लिए समान नागरिकता संहिता कानून होना आवश्यक है. उत्तराखंड में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनी रहे. उसके लिए हमने राज्य में एक सत्यापन अभियान शुरू करने का फैसला किया है. जो हमें राज्य में अनावश्यक बढ़ते तत्वों को नियंत्रित करने में मदद करेगा, जो राज्य में शांति भंग कर सकते हैं.
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सीएम का बयान सीएम धामी ने आगे कहा कि चुनाव से पहले, समान नागरिक संहिता को लागू करने की घोषणा की गई थी, हमने कैबिनेट बैठक के दौरान एक समिति बनाने का निर्णय लिया, जो लोगों से सलाह लेकर एक मसौदा तैयार करेगी. ड्राफ्ट बनते ही हम यूनिफॉर्म सिविल कोड प्रदेश में लागू कर देंगे.
इसके साथ ही वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की स्मृति में आयोजित क्रांति दिवस मेले को सीएम ने राजकीय मेला घोषित करने का ऐलान किया. इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी ने 4 अन्य घोषणाएं भी की. सीएम ने श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सभी कच्ची सड़कों का डामरीकरण करने, थलीसैंण में वाहन पार्किंग निर्माण (Vehicle Parking Construction in Thalisain), देवराड़ी देवी मैदान बुंगीधार में मिनी स्टेडियम निर्माण (mini stadium construction in bungidhar) और थलीसैंण ब्लॉक के चौरीखाल से कफल्ड-मुसेड़ी-लामसेम बेंड-थलीसैंण तक सड़क निर्माण की घोषणा की.
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बता दें कि पेशावर कांड की 92वीं बरसी (92nd anniversary of Peshawar kand) पर मुख्यमंत्री पीठसैंण पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि क्रांति दिवस मेले को अगले साल से और भव्य रूप दिया जाएगा. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, उत्तराखंड की शान हैं. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को पेशावर कांडके महानायक के रूप में याद किया जाता है. ऐसे वीर से प्रदेश के हर युवा को प्रेरणा लेनी चाहिए.
1857 के बाद पहला सैनिक विद्रोह था:वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने 23 अप्रैल 1930 को सैनिकों को पठानों पर गोली चलाने से रोक दिया था. अगले दिन करीब 800 गढ़वाली सैनिकों ने अंग्रेजों का हुक्म मानने से इनकार कर दिया. सैनिक अपनी राइफलों को अंग्रेज अफसरों की तरफ करके खड़े हो गए थे. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली और अन्य गढ़वाली हवलदारों ने बंदूकें जमा करने को सैनिकों को राजी करा दिया. उन्होंने अंग्रेजों का कोई भी आदेश मानने से इनकार कर दिया. इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों के विद्रोह करने से अंग्रेजों की चूलें हिल गई थीं. राइफल जमा करने के बाद सभी सैनिकों को गिरफ्तार कर लिया गया था.
हालांकि, अंग्रेज सैनिकों ने बाद में पठान आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसाईं. उससे पहले गढ़वाली सैनिकों से उनके हथियार ले लिये गए. चंद्र सिंह गढ़वाली सहित इन सैनिकों को नौकरी से निकाल दिया गया और उन्हें कड़ी सजा दी गयी लेकिन उन्होंने खुशी-खुशी इसे स्वीकार किया. बैरिस्टर मुकुंदी लाल के प्रयासों से इन सैनिकों को मृत्यु दंड की सजा नहीं मिली लेकिन उन्हें जेल जाना पड़ा था. इस दौरान चन्द्र सिंह गढ़वाली की सारी संपत्ति जब्त कर ली गई.
कार्यक्रम के दौरान सीएम धामी के साथ मंत्री धन सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी और पौड़ी विधायक राजकुमार पोरी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री ने जनता को संबोधित करते हुए कहा भाजपा सरकार पूर्व से ही वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से प्रदेश में अनेक योजनाएं चला रही है. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से श्रीनगर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना (Establishment of Medical College in Srinagar) भी की गई. भविष्य में भी अनेक अन्य योजनाएं उनके नाम से शुरू की जाएंगी. क्रांति दिवस पर वीर नारियों, भूतपूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया. महिलाओं को घसियारी किट भी बांटी गयी. विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को किशोरी किट का वितरण किया गया.