पौड़ी:पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज (Tourism Culture Minister Satpal Maharaj) ने सतपुली में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की पेंटिंग वर्कशॉप में विभिन्न राज्यों से पहुंचे चित्रकारों और स्कूल स्तर के विजेता छात्रों को पुरस्कृत किया. सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों में राष्ट्रीय स्तर की पेंटिंग वर्कशॉप (Pauri Painting Workshop) से क्षेत्रीय प्रतिभाओं को भी निखरने का मौका मिला है. वर्कशॉप के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि काबीना मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऐसे आयोजनों से हमारे नौनिहाल भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना पाएंगे.
सतपुली में राष्ट्रीय स्तर की पेंटिंग वर्कशॉप, महाराज बोले- सांस्कृतिक गतिविधियों को मिलेगा बढ़ावा - Cabinet Minister Satpal Maharaj
कैबिनेट मंत्री ने सतपुली में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की पेंटिंग वर्कशॉप में विभिन्न राज्यों से पहुंचे चित्रकारों और स्कूल स्तर के विजेता छात्रों को पुरस्कृत किया. सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों में राष्ट्रीय स्तर की पेंटिंग वर्कशॉप (Pauri Painting Workshop) से क्षेत्रीय प्रतिभाओं को भी निखरने का मौका मिला है.
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचल में नेशनल पेंटिंग वर्कशॉप आयोजित किए जाने पर ललितकला एकेडमी और केंद्रीय संस्कृति मंत्री का आभार जताया. महाराज ने कहा कि भविष्य में भी ग्रामीण अंचलों में राष्ट्रीय स्तर की वर्कशॉप की जाएंगी. मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ हमेशा कलाकारों को सम्मान देने के पक्ष में रही है. प्रदेश सरकार में ललित कला, नाट्य कला और साहित्य कला को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कलाकारों को समय-समय पर इस विषय में अपने सुझाव देने की अपील की है.
पढ़ें-ग्रामीण निर्माण के कार्यों की सीमा को जल्द खोल जाएगा, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने दिया इशारा
प्रतियोगिता में कर्नाटक से लेकर लद्दाख तक के 14 राज्यों के 23 चित्रकारों के अलावा उत्तराखंड के 7 युवा चित्रकारों ने भी इसमें हिस्सा लिया. संस्कृति मंत्री महाराज ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद स्थित लाखू उडियार का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक रॉक शेल्टर है. उनकी चट्टानों पर कई चित्र बनाए गए हैं. इतिहास के जानकारों के अनुसार यह सभी प्रागैतिहासिक काल के बताए जाते हैं. इनका संरक्षण वर्तमान में पुरातत्व विभाग कर रहा है. इससे यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड की कला एवं संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है.