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नागेंद्र सकलानी और मोलू भरदारी की शहादत को 75 साल पूरे, कीर्तिनगर में शहीदी मेले का उद्घाटन - कौन थे नागेंद्र सकलानी

उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और विधायक विनोद कंडारी ने कीर्तिनगर में शहीदी मेले का उद्घाटन किया. यह मेला नागेंद्र सकलानी और मोलू भरदारी की शहादत में मनाया जाता है. आज उनकी शहादत को 75 साल पूरे हो गए हैं. इन्होंने टिहरी रियासत को राजशाही से मुक्ति दिलाने के अपनी शहादत दी थी.

Cabinet Minister Prem Chand Aggarwal
कीर्तिनगर में शहीदी मेले का उद्घाटन

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Published : Jan 11, 2023, 10:20 PM IST

Updated : Jan 11, 2023, 10:29 PM IST

कीर्तिनगर में शहीदी मेला.

श्रीनगरःटिहरी रियासत को राजशाही से मुक्ति दिलाने वाले नागेंद्र सकलानी और मोलू भरदारी की शहादत को पूरे 75 साल हो गए हैं. उनकी याद में हर साल 11 जनवरी को कीर्तिनगर में शहीदी मेला मनाया जाता है. इस कड़ी में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने चार दिवसीय इस शहीदी मेले का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कीर्तिनगर नगर पंचायत को अटल पार्क समेत अन्य कार्यों के लिए 40 लाख की धनराशि देने की घोषणा की. वहीं, मंत्री अग्रवाल ने जोशीमठ मामले पर भी अपनी बात रखी.

जोशीमठ प्रभावितों के विस्थापन के लिए भूमि की तलाश जारीः शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने जोशीमठ के वर्तमान हालातों पर कहा कि प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर अस्थायी तौर पर शिफ्ट किया जा रहा है. जोशीमठ क्षेत्र को पुनः बसाने के लिए भूमि का सर्वेक्षण किया जा रहा है. भूमि को लेकर जब सरकार निर्णायक स्थिति में पहुंच जाएगी, उसके बाद विस्थापन को लेकर फैसला लिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री धामी समेत शासन प्रशासन भी प्रभावितों के विस्थापन को लेकर चिंतित है. जल्द ही समाधान निकाल लिया जाएगा.

कौन थे नागेंद्र सकलानी और मोलू भरदारीः15 अगस्त 1947 को पूरा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो चुका था, लेकिन टिहरी रियासत अभी भी राजशाही की गुलाम थी. जिसे लेकर लोग टिहरी के राजा का जगह-जगह विरोध कर रहे थे. 10 जनवरी 1948 को नागेंद्र सकलानी ने प्रजामंडल के युवा नेता त्रेपन सिंह नेगी, खीमानंद गोदियाल, किसान नेता दादा दौलत राम, कांग्रेसी कार्यकर्ता त्रिलोकीनाथ पुरवार, कम्युनिस्ट कार्यकर्ता देवी दत्त तिवारी के सामूहिक नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने कीर्तिनगर के न्यायालय और अन्य सरकारी भवनों को घेर लिया था. उनके सामने टिहरी रियासत की फौज और प्रशासन ने आत्मसमर्पण कर दिया था.

कीर्तिनगर को आजाद घोषित करते हुए कीर्तिनगर आजाद पंचायत की घोषणा कर दी गई. 11 जनवरी 1948 को जब आंदोलनकारी टिहरी कूच की तैयारी कर रहे थे, तब रियासत की नरेंद्र नगर से भेजी गई फौज ने कीर्तिनगर पर दोबारे कब्जा करने का प्रयास किया. कीर्तिनगर आजाद पंचायत की रक्षा के संघर्ष में कामरेड नागेंद्र सकलानी और मोलूराम भरदारी, शाही फौज के एक अधिकारी कर्नल डोभाल की गोलियों का शिकार बन गए. वहीं, 12 जनवरी 1948 की सुबह पेशावर कांड के नायक चंद्र सिंह गढ़वाली कोटद्वार से कीर्तिनगर पहुंच गए.

उनके सुझाव पर शहीद नागेंद्र सकलानी और मोलू भरदारी की अर्थियों को आंदोलनकारी उठाकर टिहरी की दिशा में चल पड़े. यह शव यात्रा देवप्रयाग, हिंडोलाखाल, नंद गांव-बड़कोट होते हुए तीसरे दिन 14 जनवरी को रियासत की राजधानी टिहरी पहुंची. जहां उनका दाह संस्कार भिलंगना और भागीरथी के संगम पर हुआ. जनता के आक्रोश से भयभीत शाही फौज ने उसी दिन आत्मसमर्पण कर दिया और आजाद पंचायत सरकार की स्थापना हो गई. वहीं, 1 अगस्त 1949 को टिहरी रियासत का भारत संघ में विलय हो गया और यहां के लोग भी आजाद भारत के हिस्सा हो गए.
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Last Updated : Jan 11, 2023, 10:29 PM IST

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