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सांसद अनिल बलूनी पहुंचे पैतृक गांव, 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' अभियान की शुरुआत की - राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी

राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी आज अपने पैतृक गांव नकोट पहुंचे. जहां उन्होंने अपने कुल देवता के दर्शन करने के बाद ग्रामीणों के साथ वार्ता की. इस दौरान उन्होंने मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान की शुरुआत की.

अनिल बलुनी पहुंचे अपने पैतृक गांव
अनिल बलुनी पहुंचे अपने पैतृक गांव

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Published : Feb 23, 2021, 7:03 PM IST

पौड़ी: उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी आज अपने पैतृक गांव नकोट पहुंचे, जहां उन्होंने अपने कुल देवता के दर्शन करने के बाद ग्रामीणों के साथ वार्ता की. साथ ही मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान की शुरुआत भी की.

सांसद अनिल बलूनी ने अपने घर में पार्टी चिन्ह कमल का फूल लगाकर मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान का विधिवत शुभारंभ किया. उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से कहा कि पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने के लिए इस अभियान से लोगों को जोड़ना होगा.

मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान की शुरुआत

सांसद बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड के विकास को लेकर उनकी जो हिस्सेदारी निर्धारित की गयी है, उसे वह पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि लंबी बीमारी को पराजित करने में सभी लोगों की दुआएं काम आईं. जब वह बीमार थे तो उन्होंने यह संकल्प लिया था कि जब वह स्वस्थ हो जाएंगे तो अपनी कुलदेवी और इष्ट देवता की पूजा के साथ अपनी राजनीतिक गतिविधियां शुरू करेंगे.

अनिल बलूनी पहुंचे अपने पैतृक गांव

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अनिल बलूनी लंबे अंतराल के बाद अपने पैतृक गांव नकोट पहुंचे. यहां उन्होंने अपनी कुलदेवी की पूजा-अर्चना की और उसके बाद वह डांडा नागराजा के दर्शन करने भी गए. सांसद बलूनी ने उत्तराखंड प्रवासियों से इगास के त्योहार को अपने गांव में मनाने की अपील की थी. वहीं, स्वास्थ्य सही नहीं होने के चलते साल 2018 से वह अपने गांव में इगास भी नहीं मना पाए थे.

इस दौरान उनकी जगह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा उनके पैतृक गांव पहुंचे थे. वहीं, इस वर्ष पौड़ी विधायक ने उनकी कमी को पूरा किया. लेकिन अभी तक वह स्वयं कभी भी इगास मनाने अपने गांव नहीं पहुंचे. ग्रामीणों ने बताया कि अनिल बलूनी आज अपने गांव पहुंचे हैं, उनसे मिलने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं.

इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि उनके जाने के बाद हालत जस की तस हो जाएगी. यहां की सड़क की हालत काफी खस्ता है. साथ ही पेयजल किल्लत से भी ग्रामीण लंबे समय से जूझ रहे हैं. मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते लोग गांव से पलायन कर रहे हैं.

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