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5 साल बाद फिर शुरू हुई 'खुशियों की सवारी', पौड़ी जिले में दौड़ेंगी 11 एंबुलेंस

पौड़ी जिले में 11 'खुशियों की सवारी' एंबुलेंस दौड़ती नजर आएगी. जो गर्भवती महिलाओं को निशुल्क घर से अस्पताल और अस्पताल से घर तक छोड़ेगी. यह सेवा 5 साल बाद फिर से शुरू हुई है.

khushiyon ki sawari
खुशियों की सवारी

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Published : Sep 18, 2021, 9:58 PM IST

Updated : Sep 18, 2021, 10:40 PM IST

श्रीनगरः प्रदेश में बंद हो चुकी 'खुशियों की सवारी' एक बाद फिर शुरू हो गई है. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने इस एंबुलेंस सेवा को पौड़ी से हरी झंडी दिखाकर फिर से री-लॉन्च कर दिया है. यह सेवा 5 साल पहले बंद हो गई थी. अब इसके संचालन से गर्भवती महिलाओं को काफी लाभ मिलेगा. योजना के तहत एंबुलेंस महिलाओं को निःशुल्क घर से अस्पताल और अस्पताल से घर तक छोड़ेगी. वहीं, पौड़ी जिले को 11 एंबुलेंस मिली हैं.

जिला अस्पताल पौड़ी में आयोजित कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री धन रावत ने बतौर मुख्य अतिथि की. इस दौरान उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना कर खुशियों की सवारी को अपने विधानसभा क्षेत्र खिर्सू के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस योजना के तहत जिले को 11 खुशियों की सवारी एंबुलेंस मिली है. अब गर्भवती महिलाएं एंबुलेंस सेवा के लिए टॉल फ्री नंबर 102 पर कॉल कर सकते हैं. जिसके बाद खुशियों की सवारी गर्भवती महिला को लाने के लिए उनके घर तक पहुंचेगी. साथ ही जच्चा-बच्चा को घर तक भी छोडे़गी.

'खुशियों की सवारी' का फिर से आगाज.

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वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री डॉ. रावत ने कहा कि राज्य में साल 2016 से खुशियों की सवारी एंबुलेंस सेवा बंद हो गई थी. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद खुशियों की सवारी के बारे में जानकारी ली. जिस पर विभाग की ओर से बताया गया कि टेंडर प्रक्रिया न होने से यह सेवा बंद कर दी गई है. जिसके बाद उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके संचालन पर जोर दिया.

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उन्होंने कहा कि साल 2016 से पहले अस्पताल में बच्चा-जच्चा को खुशियों की सवारी घर तक छोड़ने का काम करती थी. राज्य सरकार ने इसमें बड़ा परिवर्तन किया है, अब अस्पताल भी ले जाएगी और घर तक भी छोड़ेगी. इस मौके पर जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे, नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम समेत कई लोग मौजूद रहे.

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बता दें कि प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमे ने प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के साथ मासूम बच्चों के इलाज के लिए खुशियों की सवारी नाम से एंबुलेंस चलाई थी. ये एंबुलेंस डिलीवरी के बाद महिलाओं को अस्पताल से उनके घर तक फ्री में छोड़ने के लिए जाती थी, लेकिन इसका संचालन पीपीपी मोड में किया जाने लगा. जिसके बाद प्रदेश में खुशियों की सवारी का संचालन लड़खड़ाने लगा. इसके अलावा खुशियों की सवारी योजना लापरवाह स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के चलते भी पटरी से उतर गई.

Last Updated : Sep 18, 2021, 10:40 PM IST

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