श्रीनगर:धार्मिक शिक्षा के क्षेत्र में श्रीनगर पूरे देश में जाना जाता है. इसके अलावा केंद्रीय विवि व एनआईटी भी श्रीनगर में होने से यहां पूरे देशभर से बच्चे पढ़ने आते है. वहीं, बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा का भी श्रीनगर केंद्रबिंदु भी है. इसके अलावा श्रीनगर में बहुत कुछ ऐसा है जो इसे अलग बनाता है, लेकिन उनकी पहचान आज तक नहीं हो पाई. 800 सालों से भी ज्यादा पुरानी गोरखनाथ गुफा और उनका मंदिर आज भी श्रीनगर में गुमनामी में है, जो प्राचीन काल में आस्था का केंद्र था. यहां देशभर के विभिन्न कोनों से नाथ संप्रदाय और अन्य श्रद्धालु यहां आते थे.
बताते चलें कि प्राचीन काल में श्रीनगर गढ़वाल नरेश की राजधानी भी रहा है. साथ ही यह क्षेत्र नाथ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था. वहीं, बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा के दौरान गुरु गोरखनाथ ने श्रीनगर में तपस्या भी की, जो पुरानी गोरखनाथ गुफा और उनके मंदिर से पता चलता है.
गुरु मत्स्येंद्रनाथ के शिष्य रहे गुरु गोरखनाथ के नाम पर नेपाल के लोगों को गोरखा नाम दिया गया. वहीं नाथ संप्रदाय के केंद्र गोरक्षपीठ की गद्दी स्थल को गोरखपुर नाम दिया गया. इतिहासकारों और पुस्तकों के अनुसार गोरखनाथ के काल का ठीक-ठीक प्रमाण नहीं मिल पाता, लेकिन उनसे जुड़ी हुई कहानी आज भी गढ़वाल क्षेत्र में प्रचलित है.