श्रीनगर:ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए भले ही खोल दिया गया हो लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. मार्ग अब भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ हुआ है. मार्ग पिछले दो दिनों से पहाड़ी से गिर रहे बोल्डरों के कारण बंद था. यहां हादसों के कारण कई लोगों की जान चली गयी है. शासन-प्रशासन को हिमाचल के किन्नौर हादसे से सबक लेना चाहिए.
ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहाड़ियों का दरकना लगातार जारी है. इस मार्ग पर देवप्रयाग, तीन धारा, तोताघाटी और शिव मूर्ति ऐसे नए भूस्खलन जोन बने हैं, जो कभी भी दरक जाते हैं, जिससे मार्ग तो बंद हो ही जाता है, लोगों की जान भी आफत में फंसी रहती है. कब कोई पत्थर किसी की जान ले ले, कुछ कहा नहीं जा सकता है. हाल ही में असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज सुंदरियाल की जान ऐसे ही पहाड़ी से गिरने वाले पत्थरों ने ले ली थी.
ऋषिकेश-बदरीनाथ NH-58 पर बने 4 नए भूस्खलन जोन. पढे़ं- किन्नौर से हरिद्वार आ रही बस पर गिरा पहाड़, 10 की मौत, 23 सुरक्षित बचाए गए
इस मामले में लोक निर्माण विभाग के सहायक अधिशासी अभियंता बीएल द्विवेदी का कहना है कि पहाड़ी से मलबा आने के बाद विभाग की पूरी कोशिश रहती है कि मार्ग को जल्द से जल्द खोल दिया जाए. उन्होंने कहा कि मार्ग पर होने वाले भूस्खलन जोन पर ट्रीटमेंट का कार्य टीएचडीसी का है. टीएचडीसी को ही इसका आकलन करना होता है.
हालांकि, नए भूस्खलन जोन्स का जियोलॉजिकल सर्वे जारी है. सड़क परिवहन मंत्रालय का अप्रूवल मिलते ही भूस्खलन जोन का ट्रीटमेंट का कार्य शुरू किया जाएगा.
ऋषिकेश-बदरीनाथ नेशनल हाईवे-58 को गढ़वाल की लाइफ लाइन कहा जाता है. ये राष्ट्रीय राजमार्ग टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों को जोड़ता है. इसी हाईवे पर व्यासी, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली, जोशीमठ, विष्णुप्रयाग और बदरीनाथ धाम समेत माणा गांव आते हैं.
कर्णप्रयाग से बदरीनाथ हाईवे कुमाऊं मंडल को जोड़ता है. कर्णप्रयाग से जहां चमोली जिले के थराली, नारायणबगड़ इलाके को सड़क जाती है वहीं बागेश्वर जिला भी कनेक्ट होता है. कर्णप्रयाग के आगे सिमली से गैरसैंण, चौखुटिया होते हुए द्वाराहाट और रानीखेत को जाया जा सकता है. गैरसैंण, चौखुटिया से ही रामनगर को भी यात्रा की जाती है.