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उत्तराखंड के दावानल का 'तांडव', पौड़ी में अभीतक वनाग्नि की 187 घटनाएं आईं सामने

जनपद पौड़ी में आरक्षित वन क्षेत्र में अभी तक 98 घटनाएं हो चुकी हैं. वहीं सिविल वन पंचायत क्षेत्र में 89 घटनाएं हो चुकी हैं.

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Published : May 31, 2019, 8:15 PM IST

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पौड़ी: उत्तराखंड में जैसे-जैसे सूरज की तपिश बढ़ती जा रही है, वैसे ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी सामने आ रही है. पौड़ी जिले की बात कर तो यहां इस साल वनाग्नि में लाखों रुपए की वन संपदा जलकर राख हो चुकी है. इसके अलावा पर्यावरण पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इस साल पौड़ी में जंगलों में आग लगने की 187 घटनाएं सामने आ चुकी है.

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वन विभाग हर साल जंगलों को आग से बचाने के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनाता है. इतना ही नहीं स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर जागरुकता कार्यक्रम भी चलाए जाते है. बावजूद इसके जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार सामने आती रहती है. जिसका दुष्प्रभाव मनुष्य के शरीर के साथ पर्यावरण भी पड़ता है. वन-अग्नि से शहरों के तापमान में भी बढ़ोतरी देखने को मिलती है.

जनपद पौड़ी में आरक्षित वन क्षेत्र में अभी तक 98 घटनाएं हो चुकी हैं. वहीं, सिविल वन पंचायत क्षेत्र में 89 घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें से आरक्षित वन क्षेत्र में 177.35 और सिविल पंचायती वन क्षेत्र में 177.50 हेक्टेयर वन संपदा जलकर खाक हो गई है.

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जनपद के कुल आंकड़े

वन अग्नि की दुर्घटनाएं 187
कुल छेत्रफल 354.84 हेक्टेयर
वन अग्नि से क्षति 684363 लाख रुपए

वन विभाग के एसडीओ एमके बहुखंडी ने बताया कि विभाग की ओर से 227 क्रू स्टेशनों का निर्माण किया गया है. जिनमें 550 नियमित कर्मचारी काम कर रहे हैं और लगभग 1700 वॉचर नियमित रूप से जंगलों की देखरेख कर रहे हैं. इसके बाद भी जनपद में 187 वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं. जिसमें कि 684363 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है.

वहीं, गढ़वाल आयुक्त बीबीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि जंगलों को आग से बचाने के लिए पुलिस, राजस्व विभाग, वन विभाग और ग्रामीण क्षेत्रों के कर्मचारियों की मदद से आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है. जिन व्यक्तियों के द्वारा जंगलों में आग लगाई जा रही है. यदि ऐसा कोई पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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