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रुद्रप्रयाग की 10 वर्षीय बच्ची आईटीपी रोग से पीड़ित, 5 साल से पता नहीं चल रही थी बीमारी, डॉक्टरों ने ढूंढा इलाज - 10 year old girl suffering from ITP disease

Medical College Srinagar मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के बेस चिकित्सालय में 5 साल से शरीर में चकत्ते और यूरीन में खून आने की बीमारी से परेशान दस वर्षीय बालिका का अब इलाज संभव होगा. डॉक्टरों ने पाया कि बालिका को इडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक परप्यूरा (आईटीपी) रोग है. बहरहाल बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. व्यास राठौर के नेतृत्व में बालिका का इलाज चल रहा है.

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Published : Aug 12, 2023, 4:22 PM IST

श्रीनगर:राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के बेस चिकित्सालय में रुद्रप्रयाग से एक दस वर्षीय बालिका इलाज के लिए आई है. जिसके शरीर में चकत्ते और यूरीन में खून आने की शिकायत है. ये बच्ची पिछले पांच साल से परेशान है और विभिन्न बीमारियों को लेकर दवा खाने के बाद भी ठीक नहीं हो पा रही थी. ऐसे में पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने बालिका की बीमारी का पता करने के लिए बोन मैरो की गहनता से जांच की. डॉक्टरों ने पाया कि बालिका को इडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक परप्यूरा (आईटीपी) रोग है. यह रोग खून में होने वाला एक विकार (डिसऑर्डर) है.

क्या है इडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक परप्यूरा बीमारी:इडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक परप्यूरा का छोटा नाम आईटीपी है. जब किसी कारण से किसी व्यक्ति के खून में प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाती हैं, तो उसे इडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक परप्यूरा कहा जाता है.

बालिका आईटीपी रोग से पीड़ित:बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. व्यास राठौर द्वारा बालिका पर रोग की पुष्टि के लिए बोन मैरो जांच के लिए कहा गया था. जिसके बाद पैथालॉजी विभाग की एचओडी डॉ. गजाला रिजवी के निर्देशन में विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सचिन भट्ट, डॉ. पवन भट्ट, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सृजन श्रीवास्तव द्वारा बोन मैरो के जरिए जांच का फैसला लिया गया. जांच में डॉक्टरों ने पाया कि बालिका में एक दुलर्भ रोग आईटीपी (immune thrombocytopenic purpura) है.

बाल रोग विभाग के अध्यक्ष के नेतृत्व में हो रहा इलाज:पैथोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सृजन ने बताया कि बालिका में रोग की पुष्टि होने के बाद अब इलाज संभव हो पाएगा. इससे पहले रोग की जानकारी ना होने से बालिका कई प्रकार की दवाइयां खा चुकी थी. यहां तक कि दिल्ली सहित अन्य अस्पतालों में इलाज के लिए गई थी, लेकिन उसको राहत नहीं मिली. उन्होंने बताया कि साथ ही क्या-क्या सावधानियां बरतनी होंगी, इसकी जानकारी मिल पाएगी. फिलहाल बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. व्यास राठौर के नेतृत्व में बालिका का इलाज चल रहा है.
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आधुनिक मशीनें आने के बाद हर जांच संभव:बेस अस्पताल में जांच संबंधी अत्याधुनिक मशीनें आने के बाद यहां हर जांच संभव हो गई है. पैथोलॉजी विभाग में बोन मैरो की जांच 100 रुपये में होती है और आयुष्मान कार्ड के जरिए निशुल्क होती है. अन्य संस्थानों में यह जांच 10-20 हजार रुपये के बीच होती है. पैथोलॉजी विभाग में एमडी कोर्स भी संचालित हो रहा है, जिसमें दो सत्र चल रहे हैं और आठ छात्र अध्ययनरत हैं.
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