हल्द्वानी:दुनिया भर में हर साल आज के दिन यानी 1 मई को विश्व मजदूर दिवस (world labor day 2022 ) मनाया जाता है. विश्व मजदूर दिवस को श्रम दिवस भी कहा जाता है. मजदूर दिवस या पहली बार 1 मई को 1886 में मनाया गया था. तो वहीं, भारत में मजदूर दिवस पहली बार 1 मई 1923 को मनाया गया था.मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य मजदूरों को मिलने वाला अधिकार कैसे मिल सके. मजदूर दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य मजदूरों में उनके अधिकार के प्रति जागृत करना है, लेकिन लगातार बढ़ती महंगाई मजदूरों का निवाला छीनने का काम कर रही है.
कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी की बात करें तो नदी से होने वाले उप खनिज निकासी में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों के मजदूर, मेहनत कर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. गौला नदी में करीब 20 हजार से अधिक मजदूर हैं, जो हाड़तोड़ मेहनत से नदी में खनन कर ट्रकों में उप खनिज लोड कर के रोजाना ₹300 से लेकर ₹500 तक मजदूरी कमाते हैं. मजदूरों की मेहनत के बदौलत प्रदेश सरकार को हर साल खनन से करोड़ों के राजस्व की प्राप्ति होती है, लेकिन सरकार है कि इन मजदूरों की सुध नहीं ले रही है.
गौला नदी में मजदूरों से काम कराने वाली कार्यदायी संस्था वन विकास निगम द्वारा जाड़े में उनको ठंड से बचने के लिए कंबल, जूते, जलाने के लिए लकड़ी, शुद्ध पेयजल, चिकित्सा सुविधा और मजदूरों के बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था सहित कई अन्य प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है. लेकिन विभाग ने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रखा है. यहां तक की इन मजदूरों को मिलने वाला अपना हक और अधिकार नहीं मिल पा रहा है.