हल्द्वानी: गलवान घाटी की घटना के बाद लोग चीन के सामान का लगातार बहिष्कार कर रहे हैं. इसी कड़ी में एक महिला सहायता समूह की महिलाओं ने चाइना की राखियों को टक्कर देने के लिए बाजार में सस्ती राखियां उतारने जा रही है. इस मुहिम से पीएम मोदी के आत्मनिर्भर अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है. जिनकी स्थानीय बाजारों सहित विभिन्न प्रदेशों के बाजारों में भी काफी डिमांड हैं.
चीन की राखियों को टक्कर देने के लिए महिलाओं ने कसी कमर. हल्द्वानी के मुखानी स्थित स्वयं सहायता समूह की महिलाएं रक्षाबंधन पर्व के लिए राखियां तैयार कर रही हैं. सहायता समूह की महिलाएं पिछले 1 हफ्ते से इस काम में जुटी हुई हैं. ये महिलाएं राखियों के अलावा अन्य उत्पाद भी बना रही हैं. समूह की महिलाओं की मानें तो इस बार भारत -चीन सीमा विवाद के बाद लोगों ने चाइना सामानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है.
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अभी तक भारतीय बाजारों में चाइना की राखियों की काफी बड़ी हिस्सेदारी रही है. ऐसे में चाइना उत्पादित राखियों को टक्कर देने के लिए पूर्ण रूप से स्वदेशी राखियां बाजार में उतारी जा रही हैं. इस कारोबार से यहां की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ भारत की आर्थिकी को मजबूती भी देंगी. जिससे चाइना के उत्पादन का अच्छे ढंग से बहिष्कार भी हो सके.
सहायता समूह की महिलाओं ने बताया, कि प्रतिदिन करीब 1,000 से अधिक राखियां तैयार की जा रही हैं. इन राखियों की डिमांड प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी काफी जादा है. चंडीगढ़ से राखियों की भारी डिमांड आई है. महिलाओं ने बताया कि इन राखियों को भारतीय परंपरा को ध्यान में रखकर बनाया गया है. ये राखियां पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रही हैं.